राष्ट्रपति चुनाव: एनडीए में शामिल दल भी कर सकते है द्रौपदी मुर्मू का समर्थन

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां लगातार बनी हुई है। विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया है। जबकि सत्तारूढ़ एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार बनाया गया है। वर्तमान में देखें तो राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू के लिए अच्छी संभावनाएं दिखाई दे रही है। एनडीए में नहीं शामिल कुछ और दलों की ओर से भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया गया है। द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा से आती हैं और वे आदिवासी हैं। राज्यपाल बनने वाली वे पहली आदिवासी महिला थी। फिलहाल सब की नजर इस बात पर टिकी है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राष्ट्रपति चुनाव में किसका समर्थन करेंगे?

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन के लिए राष्ट्रपति चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। हेमंत सोरेन के समक्ष सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस चुनाव में किस को अपना समर्थन दिया जाए। हेमंत सोरेन फिलहाल कांग्रेस और राजद के साथ झारखंड में मिलकर सरकार चला रहे हैं। ऐसे में देखा जाए तो हेमंत सोरेन को यशवंत सिन्हा को ही समर्थन देना चाहिए। लेकिन कहीं ना कहीं अगर उन्होंने अपने पिता के सियासी उसूल का उदाहरण लिया तो उनके लिए यशवंत सिन्हा के नाम का समर्थन करना मुश्किल हो सकता है।

अगर हेमंत सोरेन यशवंत सिन्हा का समर्थन करते हैं तो वह गठबंधन धर्म का पालन करते दिखाई देंगे। लेकिन अगर वह द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करते हैं तो कहीं ना कहीं उनके समक्ष गठबंधन में कई चुनौतियां सामने आ सकती हैं। हाल में ही हमने देखा कि राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच तल्खी देखी गई।

सवाल यह भी है कि द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना क्यों हेमंत सोरेन के लिए जरूरी है? दरअसल, हेमंत सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा की राजनीति में आदिवासी समाज की बड़ी भूमिका है। अगर वह  द्रौपदी मुर्मू को वोट नहीं देते हैं तो आदिवासी समूह में यह मैसेज जा सकता है कि हेमंत सोरेन एक आदिवासी का विरोध कर रहे हैं। यह मैसेज हेमंत सोरेन की पार्टी के लिए कहीं से भी ठीक नहीं है। इसके अलावा भाजपा के अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी जैसे खाटी आदिवासी नेता एक बार फिर से उनके बीच अच्छी पकड़ बनाने में कामयाब हो सकते हैं। यही कारण है कि जब हेमंत सोरेन से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं तो वे गोल मटोल जवाब दे रहे हैं। पार्टी की ओर से साफ तौर पर कहा जा रहा है कि फिलहाल इस को लेकर एक बड़ी बैठक बुलाई गई है जिसमें चर्चा के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा। 

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