SCO सम्मेलन के लिए रवाना हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 22वीं बैठक में भाग लेने के लिए 15-16 सितंबर 2022 को समरकंद, उज्बेकिस्तान का दौरा करने वाले हैं. उज्बेकिस्तान के समरकंद रवाना होने से पहले बृहस्पतिवार को विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि (SCO)  की बैठक में कारोबार, सम्पर्क, क्षेत्रीय सहयोग सहित अन्य जरूरी मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है. भारत और चीन की बैठक को लेकर क्वात्रा ने कहा कि एससीओ की बैठक आगे बढ़ने के साथ ही वे प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दे सकते है. प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद है.

एससीओ में किन मुद्दों पर होगी चर्चा?

भारत के विदेश सचिव ने जानकारी देते हुए कहा कि, प्रधानमंत्री मोदी एससीओ शिखर सम्मेलन में उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति और कुछ अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने वाले है और साथ-ही-साथ प्रासंगिक मुद्दों, व्यापार, संपर्क और क्षेत्रीय सहयोग पर चर्चा किए जाने की उम्मीद है. विकास से जुड़े मुद्दे और आतंकवाद जैसे चुनौतियों से निपटने तथा कारोबार और आर्थिक विषयों पर भी चर्चा होगी. शिखर सम्मेलन के दौरान, नेताओं से पिछले दो दशकों में संगठन की गतिविधियों की समीक्षा करेंगे. राज्य और भविष्य में बहुपक्षीय सहयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा करने की उम्मीद है. इससे पहले बीजिंग में राजनयिक सूत्रों ने कहा था कि मेजबान उज्बेकिस्तान ने सभी नेताओं की उपस्थिति को अनौपचारिक रूप से पुष्टि कर चुका है.

एससीओ में क्या है खास?

एससीओ की बैठक में क्षेत्रीय विषयों, विकास एवं आर्थिक मुद्दों पर चर्चा होती है और इसमें द्विपक्षीय विषय नहीं आते. भारत इस क्षेत्रीय संगठन का महत्वपूर्ण सदस्य है और मध्य एशियाई देशों के बीच होने वाले सहयोग में एक मुख्य स्तम्भ है.

एससीओ में भारत की क्या है भूमिका ?

भारत एक मार्गदर्शक के रूप में 2005 में एससीओ में शामिल हुआ था और 2017 में पूर्ण सदस्य बन गया. एससीओ में भारत के हित क्षेत्रीय विषयों से जुड़े हैं, जिसमें सदस्य देशों के साथ सहयोग बहुत ही प्रमुख है. इस सहयोग में आर्थिक सहयोग, सुरक्षा सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चर्चा आदि शामिल हैं. भारत इसे किसी एक देश से जोड़कर नहीं देखता, बल्कि क्षेत्रीय सहयोग की केंद्रीयता के रूप में देखता है. इस प्रकार भारत का रुख अपने आप में पूर्ण है. इसका किसी अन्य देश के तुलना में आकलन नहीं किया जाता.

एससीओ में किन-किन देशों की है भागीदारी?

एससीओ में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं. एससीओ का मुख्यालय बीजिंग में है. इसका गठन 15 जून 2001 को हुआ था. विदेश सचिव ने कहा कि (एससीओ) हमेशा से आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के तरीकों को लेकर पहले ही गहन तालमेल बनाकर रखता है. इसकोे लेकर सदस्य देश तैयार है.

आर्थिक सहयोग को लेकर क्या होने वाला है खास ?

एससीओ में आर्थिक सहयोग का एक अलग महत्वपूर्ण स्थान है. इसका जिक्र करते हुए विदेश सचिव ने कहा कि, भारत और मध्य एशिया के बीच आर्थिक सहयोग के कई आयाम हैं, जिनमें कारोबार एवं सम्पर्क, अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण कॉरिडोर सहित मध्य एशिया के देशों के साथ संपर्क बढ़ाना, कारोबार से जुड़े सहयोग पर ध्यान देना आदि शामिल होगा. उन्होंने अपनी बात में उत्पाद एवं सेवाओं को लेकर सहयोग बढ़ाने पर भी ध्यान दिया, जिसमें फार्मा और कृषि उत्पाद, खनिजों का आयात, आईटी से जुड़ी सेवाएं, स्टार्टअप एवं सेवाओं में थोड़ी बदलाव वाली बात को शामिल किया.

इससे पूर्व कब हुआ एससीओ शिखर सम्मेलन ?

वर्ष 2019 के बाद से यह एससीओ का पहला शिखर सम्मेलन होगा, जिसमें नेताओं की भौतिक उपस्थिति रहेगी. जून 2019 में एससीओ सम्मेलन किर्गिस्तान के बिश्केक में आयोजित हुआ था. जबकि वर्ष 2020 में मास्को शिखर सम्मेलन कोविड-19 महामारी के कारण ऑनलाइन तरीके से आयोजित किया गया था और दुशांबे में 2021 शिखर सम्मेलन ‘‘हाइब्रिड’’ तरीके से आयोजित किया गया था.

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