समाचार है कि राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट जयपुर के चांदी की टकसाल स्थित मृतक रामप्रसाद के घर सांत्वना देने पहुंचे हैं और परिजनों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है। रामप्रसाद ने कुछ निर्माण कार्य किया था जिसे ढहा दिया गया था पीड़ित अधिकारियों के पास दौड़ लगाते रहे, मंत्री महेश जोशी से भी गुहार लगाई। मंत्री ने रामप्रसाद को फटकार के भगा दिया। खिन्न होकर रामप्रसाद ने आत्महत्या कर ली। परिवार को न्याय दिलाने को साँसद किरोड़ीलाल मीणा भी धरने पर बैठे है। उन्होंने कहा कि मृतक के चार बेटियां हैं। उनके भरण पोषण व विवाह हेतु 50 लाख रूपया समाज से एकत्र कर दो दिन के भीतर दे दिया जाएगा।
सचिन पायलट पीड़ित परिवार को क्या मदद देंगे, पता नहीं। इतना जरूर कहा जा सकता है कि अशोक गहलोत सरकार की खामियों पर वे खुल कर मुखर हो जाते हैं। शहीद जवानों की पत्नियों पर लाठियां बरसाने पर उन्होंने गहलोत सरकार की पुलिस की निंदा की थी किन्तु उनको कुछ मदद नहीं कर सके। चन्द दिनों पहले भ्रष्टाचार की जांच नकराने को मुद्दा बना अनशन पर बैठे थे, परिणाम उसका भी कुछ नहीं निकला।
गहलोत गुट के लोगों तथा खुद गहलोत ने सचिन पायलट की छवि ऐसी बना दी है कि मानो सारा मामला मुख्यमंत्री पद हथियाने का है। आम जनता में भी यही धारणा बनती जा रही। यदि सच में उन्हें जनहित की चिन्ता होती तो वे राजस्थान के ऋणग्रस्त किसानों के पक्ष में खुल कर खड़े होते और उन्हें न्याय दिलाते। ज्ञातव्य है कि राहुल गांधी ने चुनाव में कांग्रेस को बहुमत दिलाने को किसानों का पूरा कर्ज माफ कराने का झांसा दिया था। राहुल मंच से पंजे की उंगलियां गिना कर दिखाते थे। कहते थे- देखो, एक, दो, तीन, दस-दस तक गिनने में जितना समय लगता है, कांग्रेस सत्ता में आते ही इतने समय में किसानों का सारा कर्ज माफ कर देगी।
राजस्थान के किसान राहुल गांधी के झांसे में आ गए। वहां कांग्रेस की सरकार भी बन गई लेकिन मुख्यमंत्री बने अशोक गहलोत। राहुल की राजनीतिक धोखाधड़ी या गलत बयानी का नतीजा यह हुआ कि किसानों ने कर्ज की किस्त चुकाना बन्द कर दिया। राहुल गांधी लोन तो माफ करा नहीं सके, किसानों की जमीनों की धड़ाधड़ कुर्की होने लगी। सचिन पायलट के चुनाव क्षेत्र में रामगढ़ पचवारा (जामुन की ढाणी) निवासी किसान कजोड़ मीणा की 15 बीघा 2 बिस्वा जमीन 7 लाख रुपये की एवज में नीलाम हो गई। राहुल के झूठे वादे से राजस्थान के किसानों में हाहाकार मच गया। विपक्ष ने शोर शराबा किया तो अशोक गहलोत सरकार ने 5 एकड़ तक की जोत वाले किसानों की जमीन की नीलामी रोक दी लेकिन एक भी किसान का पूरा ऋण माफ नहीं किया।
क्या सचिन पायलट राहुल गांधी की इस वायदा खिलाफी को नही जानते? उन्हें किसानों से प्यार था तो इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप में उठाते। ऐसा नहीं हुआ क्यूंकि किस्सा तो कुर्सी का है।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’