शुक्रवार को राज्यसभा में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण पॉक्सो अधिनियम 2012 में संशोधन के लिए एक निजी सदस्य विधेयक पर चर्चा हुई। इस चर्चा में कई सदस्यों ने कानून को और अधिक प्रभावी बनाने और इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए पीड़ित-केंद्रित सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया। बता दें कि इस विधेयक पर आगे की चर्चा और पारित होने के लिए अगले तारीख पर विचार किया जाएगा।
एनसीपी एससीपी नेता फौजिया खान की मांग
एनसीपी-एससीपी की फौजिया खान ने बच्चों के खिलाफ यौन अपराध करने वालों को कड़ी सजा देने की मांग की। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2017 से 2023 के बीच पॉक्सो के मामलों में 94% की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक पीड़ितों के लिए स्पष्ट और संरचित मुआवजा प्रक्रिया और बेहतर प्रशिक्षण का प्रावधान करता है, ताकि यौन अपराधों के पीड़ित बच्चों को समय पर न्याय मिल सके। खान ने कहा कि पुलिस को घटना की रिपोर्टिंग के 24 घंटे के भीतर बाल कल्याण समिति के पास पेश करना अनिवार्य होगा, जो पहले नहीं था।
जयराम रमेश की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि दिसंबर 2019 में इसी मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा की गई थी और एक समिति गठित की गई थी, जिसने सोशल मीडिया और बाल पोर्नोग्राफी के खतरों पर एक रिपोर्ट पेश की थी। रमेश ने रिपोर्ट की जांच करने का आग्रह किया और POCSO के दायरे से बाहर के उपायों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
भाजपा नेता ने बताया अधिक जागरूकता की जरूरत
भाजपा नेता राधा मोहन दास अग्रवाल ने इस विधेयक पर कहा कि अधिकांश बाल यौन अपराध पीड़ित के परिवार के सदस्यों द्वारा किए जाते हैं और इस पर अधिक जागरूकता की आवश्यकता है। उन्होंने कानून में सुधार की बात की और एक राष्ट्रीय स्तर का कार्य समूह गठित करने का आह्वान किया।
सुधांशु त्रिवेदी ने बताया गंभीर मुद्दा
साथ ही भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर खुले दिमाग से चर्चा की जरूरत है। उन्होंने सरकार के द्वारा बाल यौन अपराधों के खिलाफ उठाए गए कदमों का उल्लेख किया, जैसे कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2018।
संजीव अरोड़ा ने सख्त कदम उठाने पर दिया जोर
इस अधिनियम में संशोधन के लिए चर्चा के दौरान आप के संजीव अरोड़ा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बच्चों को जघन्य अपराधों से बचाने के लिए और अधिक कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने बच्चों के बीच अनिवार्य प्रशिक्षण और जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ डिजिटल ट्रैकिंग और निगरानी बढ़ाने का सुझाव दिया।
राजद सांसद संजय यादव का तर्क
साथ ही मामले में राजद के संजय यादव ने कहा कि बाल दुर्व्यवहार के अधिकतर पीड़ित दलित वर्ग से हैं और उन्हें लंबी न्यायिक प्रक्रिया के कारण न्याय नहीं मिल पाता। उन्होंने पीड़ितों के पुनर्वास और सामाजिक एकीकरण के लिए न सिर्फ कानूनी, बल्कि वित्तीय सहायता भी देने की आवश्यकता बताई।