बागपत से ऐतिहासिक महत्व के दुर्लभ सिक्के मिले

बागपत, 01 दिसंबर: 12वीं शताब्दी के दुर्लभ सिक्के उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में मिले हैं। ये सिक्के सम्राट पृथ्वीराज चौहान और उनके बाद के शासकों के समय के हैं। सिक्के मिलने के बाद क्षेत्र में इतिहास की एक अलग ही परछाई दिखनी शुरू हो गई है। हालांकि, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसी स्थान पर अलग-अलग समय के सिक्के मिले हो ये पहली बार हुआ है। तो वहीं, दुर्लभ सिक्कों को देखने के लिए लोग काफी दूर-दूरे से आ रहे है।

खजाना भी हो सकता है दबा हुआ

दुर्लभ सिक्के बागपत जिले के दिल्ली-सहारनपुर हाईवे से सटे काठा गांव में मिले है। गांव में एक काफी प्राचीन टीला है, जिसमें यह सिक्के मिले है। गांव का टीला सिक्के मिलने के बाद चर्चात हो गया। तो वहीं, इतिहासकार अमित राय जैन ने ऐसा दावा किया है कि टीले में पृथ्वीराज चौहान के समय का खजाना दबा हो सकता है। क्योंकि यह टीला काफी प्राचीन है। यथासंभव यहां उत्खनन का कार्य किया जाए ताकि यहां पर छुपे हुए दुर्लभ सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने लाया जा सके।

टीले से मिले 16 दुर्लभ सिक्के

शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने बताया कि टीले से 16 दुर्लभ सिक्के मिले है। ये पृथ्वीराज चौहान और उनके बाद के शासक राजा अनंगपाल तोमर, राजा चाहडा राजदेव, राजा मदन पाल देव के समय के हैं। वहीं, जिस स्थान पर ये सिक्के मिले हैं, ये बागपत के प्राचीन किले के महत्व को सिद्ध करता है। इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने बताया कि यह उपलब्धि बागपत एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास के लिए नया आयाम सिद्ध होगी, क्योंकि किसी भी वंश के शासकों के सिक्कों की श्रंखला प्राप्त होना, वहां उस क्षेत्र पर उन राजाओं के आधिपत्य को सिद्ध करता है।

बिलन धातु के सिक्के हैं यह

इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने सिक्कों की धातु के बारे में बताया कि यह बिलन धातु के सिक्के हैं, जिसका निर्माण चांदी एवं तांबे को मिश्र करके किया जाता था। चांदी क्योंकि अति दुर्लभ थी तो सिक्कों को बनाने में उसमें तांबे की मात्रा भी मिलाई जाती थी। यहां से प्राप्त सिक्कों में कुछ सिक्कों को रासायनिक विधि से साफ किया गया है, जिससे उन पर लिखे गए नामों का उल्लेख स्पष्ट रूप से किया जा सका है।

डीएम को सौंपे जाएंगे ये दुर्लभ सिक्के

16 दुर्लभ सिक्कों को बागपत डीएम राजकमल यादव को सौंपा जाएगा, ताकि उन पर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मेरठ सर्किल शाखा को भेजा जा सके। इतिहासकार अमित राय जैन का ऐसा दावा है कि यह प्राचीन टीला हजारों वर्षों से यहां मौजूद है। यहां से कुषाण काल एवं बाद की सभ्यताओं के अवशेष मृदभांड इत्यादि प्राप्त होते रहे हैं। उसी श्रंखला में फिलहाल 16 सिक्कों का प्राप्त होना यह सिद्ध करता है कि यहां कोई बड़ी मानव बस्ती उस समय की रही होगी जहां पर व्यापारिक लेन-देन में सिक्कों का प्रचलन था।

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