भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि लोन मोरेटोरियम को 6 महीने से आगे बढ़ाना संभव नहीं है। बैंक की तरफ से हलफनामे में यह भी कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित क्षेत्र को अधिक राहत देना संभव नहीं है।
आरबीआई ने कहा “6 महीने से अधिक की लंबी लोन मोरेटोरियम भी उधारकर्ताओं के क्रेडिट व्यवहार को प्रभावित कर सकती है। इसके परिणामस्वरूप समग्र ऋण अनुशासन को समाप्त किया जा सकता है, जिसका अर्थव्यवस्था में ऋण निर्माण की प्रक्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इससे छोटे उधारकर्ताओं पर ज्यादा असर पड़ सकता है, क्योंकि औपचारिक ऋण देने वाले चैनलों तक उनकी पहुंच क्रेडिट संस्कृति पर निर्भर है।” बता दें कि लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को है।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को कहा कि ‘ब्याज पर ब्याज’ माफी को लेकर केंद्र द्वारा दाखिल किया गया हलफनामा संतोषजनक नहीं है। अब कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक से नए सिरे से हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट मार्च और अगस्त 31 के बीच समान मासिक किस्तों के भुगतान पर ब्याज माफी की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसकी घोषणा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कोविड 19 और महामारी के कारण घोषित लॉकडाउन के कारण की थी। अदालत ने केंद्र सरकार और आरबीआई से कहा कि वह विभिन्न योजनाओं और नीतिगत दिशानिर्देशों को रिकॉर्ड में रखें, ताकि यह योजना लागू हो सके।