इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के न्यायधीश जस्टिस आलोक माथुर ने बाराबंकी जिले की मनीषा कनौजिया की याचिका को स्वीकार करते हुए उत्तर प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बड़ी राहत दी है। मनीषा को बाराबंकी के जिला प्रशासन ने स्थानीय निकाय चुनावों में बूथ लेविल ऑफिसर (बीएलओ) तैनात किया था।
न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने मनीषा कनौजिया की याचिका स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि आंगनबाड़ी कार्यकताओं से चुनाव अथवा अन्य प्रकार के कार्य न लिए जायें। ऐसा करना केन्द्र तथा राज्य सरकारों के निर्देशों के विरुद्ध और ऐसा करने से बच्चों तथा माताओं के स्वास्थ्य की देखभाल प्रभावित होती है। कोर्ट ने अपने आदेश के प्रति उत्तर प्रदेश शासन को इस पर अमल के लिए प्रेषित की है।
अक्सर यह देखने में आया है कि जिला प्रशासन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को चुनाव या जनगणना, सत्यापन, सर्वे आदि के अतिरिक्त कामों में तैनात कर देता है। इससे उनका मूल कार्य प्रभावित होता है। अल्प वेतनभोगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का यह एक प्रकार से शोषण और उत्पीड़न है। माननीय हाईकोर्ट के इस निर्णय से उत्तर प्रदेश की 1 लाख 98 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राहत मिलेगी और वे अपने मूल उत्तरदायित्व का निर्वहन कर सकेंगी।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’