खुदरा महंगाई फरवरी में 6.07 फीसदी के साथ आठ महीने की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है. यह लगातार दूसरे महीने आरबीआई के स्तर से ऊपर रही है. सोमवार को जारी आधिकारिक डेटा में दिखता है कि इसके पीछे मुख्य वजह खाने की चीजों की कीमतों में इजाफा होना है. कंज्यूमर प्राइस इंडैक्स आधारित खुदरा महंगाई फरवरी 2021 में 5.03 फीसदी और इस साल जनवरी में 6.01 फीसदी रही थी. इससे पहले जून 2021 में यह 6.26 फीसदी के ऊंचे स्तर पर रही थी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सीपीआई महंगाई 4 फीसदी पर बनी रहे, जिसमें दोनों तरफ 2 फीसदी का मार्जिन रखा गया है.
इससे पहले दिन में सरकार द्वारा जारी होलसेल प्राइस इंडैक्स (WPI) आधारित महंगाई के फरवरी डेटा में दिखा है कि यह दर बढ़कर 13.11 फीसदी पर पहुंच गई है. इसके पीछे उसने वजह कच्चे तेल और खाने की चीजों के अलावा आइटम की कीमतों में इजाफा बताया है. हालांकि, खाने की चीजों की कीमत में कमी आई है.
खाने की चीजों की महंगाई बढ़ी
राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (NSO) द्वारा जारी सीपीआई डेटा के मुताबिक, खाने की चीजों में कीमतों में बढ़ोतरी फरवरी में 5.89 फीसदी रही है, जो पिछले महीने के 5.43 फीसदी से ज्यादा है.
खाने की चीजों में, अनाज में महंगाई बढ़कर 3.95 फीसदी पर पहुंच गई. जबकि, मांस और मछली में महंगाई 7.54 फीसदी पर रही है. जबकि, अंडों में महंगाई की दर महीने के दौरान 4.15 फीसदी पर रही है. इसके अलावा सब्जियों की महंगाई 6.13 फीसदी पर रही है. जबकि, मसालों की महंगाई बढ़कर 6.09 फीसदी पर पहुंच गई. फलों में, महंगाई पिछले महीने के मुकाबले 2.26 फीसदी पर स्थिर रही है. तेल और ऊर्जा में, महंगाई जनवरी के 9.32 फीसदी से घटकर 8.73 फीसदी हो गई है.
CPI आधारित महंगाई क्या है?
आपको बता दें कि जब हम महंगाई दर की बात करते हैं, तो यहां हम कंज्यूमर प्राइस इंडैक्स (CPI) पर आधारित महंगाई की बात कर रहे हैं. सीपीआई सामान और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करती है, जिन्हें परिवार अपने रोजाना के इस्तेमाल के लिए खरीदते हैं.
महंगाई को मापने के लिए, हम अनुमान लगाते हैं कि पिछले साल की समान अवधि के दौरान सीपीआई में कितने फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. आरबीआई अर्थव्यवस्था में कीमतों में स्थिरता रखने के लिए इस आंकड़े पर नजर रखता है.
सीपीआई में एक विशेष कमोडिटी के लिए रिटेल कीमतों को देखा जाता है. इन्हें ग्रामीण, शहरी और पूरे भारत के स्तर पर देखा जाता है. एक समयावधि के अंदर प्राइस इंडैक्स में बदलाव को सीपीआई आधारित महंगाई या खुदरा महंगाई कहा जाता है.