मदरसों की भूमिका !

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कर्नाटक के बेलगावी शहर में कहा है कि उनके राज्य में मदरसों को बन्द कर दिया जाएगा। अब तक 600 मदरसे बन्द भी हो चुके हैं। उनका कहना है कि देश के समग्र विकास के लिए स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों व तकनीकी शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की जरूरत है, जहां डॉक्टर इंजीनियर तथा विभिन्न पेशों से संबंधित युवा तैयार होकर निकलते हैं।

मदरसों की भूमिका को लेकर बहुत लम्बे समय से विवाद है। पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के शासनकाल में और किसी ने नहीं वरन् असम की कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री कामाख्यापति त्रिपाठी ने खुला आरोप लगाया था कि वहां के मदरसों में पाकिस्तान में छपी किताबें पढ़ाई जाती हैं और भारत विरोधी भावना पनपाई जाती है। इसके लिये श्री त्रिपाठी ने फ़ख़रुद्दीन अली अहमद को दोषी बताया था। असलियत की पोल खोलने का दंड उन्हें मंत्री पद से हटाने के रूप में भुगतना पड़ा और फ़ख़रुद्दीन को केन्द्र में पहले उद्योग मंत्री तथा बाद में राष्ट्रपति बनने का पुरस्कार मिला।

केरल के राज्यपाल और इस्लामिक विद्वान आरिफ मौहम्मद खान ने साफ-साफ कहा है कि भारत में कट्टरवाद, साम्प्रदायिक, द्वेष और देशद्रोह की भावनाएं पनपाने से रोकना हैं तो मदरसों पर पाबंदी लगा दीजिये किन्तु ऐसा करेगा कौन? फ़्रांस व कुछ अन्य देशो में मदरसें बंद कर दिए गए है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब मदरसों के सर्वे का आदेश दिया तब कट्टरपंथियों और गजवा-ए-हिन्द के कारिन्दों ने बाबेला मचा दिया था। अभी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आजमगढ़ के 313 मदरसों में 219 फर्जी पाये गए। शासन ने अल्पसंख्यक समाज कल्याण विभाग के 7 अधिकारियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है।

मदरसों की संदिग्ध भूमिका को लेकर अनेक प्रश्न एवं शंकाएं हैं लेकिन अब वोट बैंक के लालच में कथित सेक्युलरवादियों व कट्टरवादियों की टीमें आस्तीनें चढ़ाये बैठी है तब मदरसों की असलियत से पर्दा कौन हटायेगा? जो लोग श्री रामचरित मानस, राम-कृष्ण, दुर्गा सप्तशती के अपमान से नहीं चूकते, भारत तेरे टुकड़े होंगे- इंशा अल्ला – इंशा अल्लाह गैंग का पुरजोर समर्थन करने को बेताब रहते हैं, वे मदरसों की पोल खुलने पर शान्त कैसे बैठेंगे ? यह आज की ज्ज्लवंत समस्या है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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