आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का गुरुवार से 10 दिवसीय बंगाल दौरा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत का गुरुवार शाम से 10 दिवसीय पश्चिम बंगाल दौरा शुरू हो रहा है. वह बंगाल दौरे के दौरान संगठनात्मक मामलों पर संघ के पदाधिकारियों से बातचीत करेंगे और संगठन के भविष्य के रोडमैप पर चर्चा करेंगे. उनकी यात्रा आत्मनिर्भरता, पारिवारिक मूल्यों, देशभक्ति, पर्यावरण संरक्षण और परिवार-उन्मुख प्रथाओं के माध्यम से सामाजिकता जैसे मूल्यों को स्थापित करने पर केंद्रित होगी.

आरएसएस के पूर्वी क्षेत्र के सह प्रचार प्रमुख जिष्णु बसु और दक्षिण बंग प्रांत प्रचार प्रमुख बिप्लव राय के अनुसार, भागवत केरल से राज्य में आएंगे. बसु ने कहा कि मोहन भागवत 7-10 फरवरी तक दक्षिण बंगा क्षेत्र में आरएसएस पदाधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे. इस बातचीत में हावड़ा, कोलकाता, पूर्व-पश्चिम मेदिनीपुर और उत्तर-दक्षिण 24 परगना के आरएसएस पदाधिकारी शामिल होंगे.

डॉ जिष्णु बसु ने कहा कि 13 फरवरी को आरएसएस प्रमुख मध्य बंग क्षेत्र में जाएंगे. मध्य बंग क्षेत्र में पुरुलिया, , बांकुड़ा, बीरभूम, पूर्व-पश्चिम बर्धमान और नादिया जैसे क्षेत्र शामिल हैं.

11-12 फरवरी को विचार मंथन सत्र में लेंगे हिस्सा

मोहन भागवत 11-12 फरवरी को विचार-मंथन सत्र में हिस्सा लेंगे. उसके बाद वह 14 फरवरी को मध्यबंग में आरएसएस के नए कार्यालय का उद्घाटन करेंगे. आसएरएस प्रमुख भागवत 16 फरवरी को बर्दवान के एसएआई परिसर में आरएसएस पदाधिकारियों के सम्मेलन में भी भाग लेंगे.

जिष्णु बसु ने बताया कि मोहन भागवत की यात्रा का उद्देश्य हिंदू समुदाय के भीतर राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देना, स्वदेशी चेतना को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है. यह एक प्रमुख राष्ट्रीय लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रचारक इन संदेशों के अनुरूप, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और देशभक्ति को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेंगे.

संगठन के लिए रोडमैप बनाएंगे मोहन भागवत

डॉ जिष्णु बसु ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करते हुए भारत ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनेगा और हर प्रचारक उस लक्ष्य को साकार करने के लिए काम करेगा. हर प्रचारक पौधों की रक्षा के लिए काम करेगा, हर प्रचारक पर्यावरण को बेहतर बनाने और आसपास की सफाई करने की दिशा में काम करेगा, दूसरों को सार्वजनिक स्थानों पर न थूकने के लिए मना करेगा. हम इन संदेशों को लोगों तक पहुंचाने के तरीकों पर आरएसएस प्रमुख से दिशा-निर्देश मांगेंगे.

मोहन भागवत की यात्रा के राजनीतिक महत्व के बारे में सवालों का जवाब देते हुए जिष्णु बसु ने साफ कहा कि आरएसएस कोई राजनीतिक संगठन नहीं है. उन्होंने कहा कि यात्रा और संबंधित बैठकें, जिन्हें आरएसएस शब्दावली में ‘प्रभास’ कहा जाता है, पहले से ही योजनाबद्ध थीं और इनका उद्देश्य विशेष रूप से आगामी 2026 के राज्य विधानसभा चुनावों को प्रभावित करना नहीं था.

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