झारखंड विधानसभा में रोजगार प्रणाली को लेकर हंगामा

झारखंड विधानसभा में मंगलवार को एक बार फिर विपक्षी सदस्यों ने राज्य की रोजगार नीति पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए हंगामा किया। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने हंगामा किया और मांग की कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस रिपोर्ट को स्पष्ट करें कि राज्य की रोजगार नीति वंचित वर्गों के लिए 60 प्रतिशत तक नौकरियां आरक्षित करेगी।

विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने सदन की कार्यवाही 11.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक और फिर बाद में दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। इससे पहले उन्होंने सदन को सुचारू रूप से चलने देने की बार-बार अपील की, लेकिन उनकी अपील पर भाजपा विधायकों ने ध्यान नहीं दिया। सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने से भगवा टी-शर्ट पहने भगवा पार्टी के विधायकों ने ’60-40 की नीति स्वीकार्य नहीं होगा’ बैनर के साथ नई नीति का विरोध करते हुए विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया। 

उन्होंने रोजगार प्रणाली के लिए 60-40 अनुपात पेश करने की सरकार की योजना पर स्पष्टीकरण की मांग की। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नई नीति के तहत 60 प्रतिशत सीटें विभिन्न वंचित श्रेणियों के लिए आरक्षित होंगी, जबकि 40 प्रतिशत सीटें सभी के लिए खुली रहेंगी। 

संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार युवाओं को उम्र में छूट देने पर भी विचार कर रही है। असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने कहा कि वे इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जवाब चाहते हैं। विधायकों ने कहा कि नीति में स्पष्टता का अभाव है और सरकार का रोजगार देने का कोई इरादा नहीं है। भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि कैबिनेट में इस पर फैसला करने के बजाय नीति को पहले सदन में लाया जाना चाहिए था।

दोपहर करीब 12.30 बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने मुख्यमंत्री से 1932 खतियान आधारित नीति की स्थिति पर जवाब मांगा।मुंडा ने कहा, सरकार को बताना चाहिए कि 1932 की नीति का क्या हुआ, 2016 से पहले की भर्ती नीति क्या है और 60-40 क्या है। भाजपा चाहती है कि मुख्यमंत्री इस पर जवाब दें।

भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा, विपक्ष ने चार मार्च को इस मुद्दे को उठाया था। मीडिया में खबर आई थी कि उच्च न्यायालय द्वारा नई नीति को रद्द किए जाने के बाद सरकार 2016 से पहले की रोजगार नीति को लागू करना चाहती है। नियम के अनुसार, सरकार को पहले विधानसभा में नई नीति लानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जो सदन की अवमानना है।

गौरतलब है कि राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) परीक्षाओं से संबंधित विभिन्न नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी थी। इसमें उस प्रावधान को हटाना भी शामिल है, जिसके जरिये राज्य के बाहर के संस्थानों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र वाले उम्मीदवारों के परीक्षा में शामिल होने पर रोक थी। मंत्रिमंडल ने उन संशोधनों को अपनी मंजूरी दे दी, जिसमें अन्य परिवर्तनों के साथ, जेएसएससी परीक्षा के लिए भाषाओं की सूची में हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत को जोड़ा गया है। इससे भाषाओं की कुल संख्या 15 हो गई है।

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