गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प को आज एक साल पूरा हो गया है। देश के 20 वीर शहीदों में से कभी से वीरों की धरती कहाने वाले पंजाब के भी 4 के घरों में आज अपनों को खोने के गम और देश के काम आने पर होने वाले गर्व की तस्वीर देखने को मिलेगी। ये घर हैं नायब सूबेदार सतनाम सिंह, नायब सूबेदार मनदीप सिंह, सिपाही गुरविंदर सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह के। इस अनमोल शहादत की बरसी पर आइए हम भी पंजाब के इन रणबांकुरों की कहानी को याद करें…
पत्नी ने खतरे की बात कही तो सतनाम बोले थे-24 साल सेना का नमक खाया है, पीछे नहीं हटूंगा
गुरदासपुर जिले के गांव भोजराज के नायब सूबेदार सतनाम सिंह के परिवार में इस वक्त माता-पिता, पत्नी, बेटी-बेटा और फौजी होने का गौरव रखता भाई सुखचैन हैं। दोस्त गुरदयाल सिंह के मुताबिक सतनाम के दिल में ड्यूटी के प्रति इतना जुनून था कि वह खाना तक छोड़ देते थे। वहीं, पत्नी बताती हैं कि जब वह सीमा पर खतरे की बात कह रही होती तो अक्सर बोलते थे-24 साल तक सेना का नमक खाया है, हक अदा करने से कभी पीछे नहीं हटूंगा।
चचेरे भाई से प्रेरित हो सेना में गए थे मनदीप, दुश्मन का नाम लेते ही चेहरा हो जाता था लाल
पटियाला जिले के सील गांव का सीना चौड़ा कर गए अमर शहीद जवान मनदीप सिंह के परिवार में बूढ़ी मां, पत्नी, बेटी और बेटा हैं। चचेरे भाई कैप्टन निर्मल सिंह पहले से ही सेना में रहकर देश सेवा कर रहे थे। उन्हें देखकर ही मनदीप के मन में भी देश सेवा का जज्बा जागा था। चीनी सैनिकों के हमले से कुछ दिन पहले ही वह छुट्टी काटकर गए थे। दोस्त जोरा सिंह ने बताया कि मनदीप बहुत निडर थे। दुश्मन सेना की बात करते ही उनका चेहरा लाल हो जाता था। दुश्मनों से लड़ रही 8 जवानों की टुकड़ी को मनदीप ने ही कमांड किया था।
शहादत से महज 3 दिन पहले बड़े भाई की शादी में भी शामिल नहीं हो पाए थे गुरतेज
गलवान में शहीद हुए पंजाब के तीसरे वीर सिपाही गुरतेज सिंह मानसा के गांव वीरे वाला डोकरा के रहने वाले थे। शहीद के परिवार में माता-पिता और तीन भाई हैं। माता-पिता की 3 संतानों में सबसे छोटे गुरतेज सिंह कुछ साल पहले ही फौज में भर्ती होने के बाद पहली बार लेह-लद्दाख में तैनात हुए थे। इस घटना से 3 दिन पहले ही बड़े भाई की शादी हुई थी, लेकिन सीमा पर तनाव की वजह से गुरतेज सिंह इस शादी में शामिल नहीं हो पाए थे।
उभावाल की लड़की से सगाई की, पर छह महीने पहले ही वीरगति को बना लिया दुल्हन
संगरूर जिले के गांव तोलावाल निवासी गुरविंदर सिंह दो भाई व एक बहन में सबसे छोटे थे। 2018 में सेना में भर्ती हुए गुरविंदर ने मार्च 2020 में ही उभावाल गांव की लड़की से सगाई की और शादी नवंबर में होनी थी, लेकिन उसने तो वीरगति को ही अपनी दुल्हन बना लिया और घर वालों के सभी अरमान धरे के धरे रह गए।