संगरूर लोकसभा उपचुनाव: अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान जीते

चंडीगढ़. शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान ने संगरूर लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल कर आम आदमी पार्टी को लोकसभा सदन में शून्य कर दिया है. उनकी जीत के बाद अब आप का लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है. भगवंत मान सीएम बनने से पहले लोकसभा में आप के एकमात्र सांसद थे. आज रविवार सुबह से उपचुनाव के लिए हुई मतगणना के कई राउंड्स में सिमरनजीत सिंह मान और आम आदमी पार्टी के गुरमेल सिंह के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला. अंत में सिमरनजीत सिंह मान ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरमेल सिंह को शिकस्त दे दी है. जानकारी के मुताबिक उपायुक्त ने उन्हें जीत का प्रमाणपत्र जारी करने के लिए बुला लिया गया है.

चुनावी नतीजों में कांग्रेस तीसरे, भाजपा चौथे व शिरोमणि अकाली दल (बादल) पांचवें स्थान पर रहा. इन तीनो पार्टियों की चुनाव में जमानत जब्त हो गई हैं. आम आदमी पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत हासिल करने के तीन माह बाद ही उपचुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा है. सिमरनजीत सिंह मान पूर्व भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी आईपीएस हैं. जिन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया है. मान ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में जून 1984 में आईपीएस के पद से इस्तीफा दे दिया था. दो बार के सांसद मान ने क्रमशः 1989 और 1999 में लोकसभा में तरनतारन और संगरूर का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव खडूर साहिब से लड़ा और हार गए थे. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में वह आप के उम्मीदवार प्रो. जसवंत सिंह से चुनाव हार चुके हैं.

30 साल बाद भी नहीं टूटा मान का रिकॉर्ड

1989 में 9वीं लोकसभा के लिए तरनतारन में हुए चुनाव में मान की पार्टी ने पांच सीटें जीती थीं. इस चुनाव में उन्होंने 561883 वाेट में से 527707 रिकॉर्ड वाेट लेकर कांग्रेस के अजीत सिंह मान काे 480417 वोटों से हराया था. उनका यह रिकॉर्ड 30 साल बाद भी कोई नहीं तोड़ पाया है.

देशद्रोह के भी झेल चुके हैं मुकदमें

रिपोर्ट के मुताबिक आईपीएस अधिकारी रहे मान ने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के विरोध में नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. उन पर इंदिरा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने से लेकर देशद्रोह तक के कई मुक़दमे चल चुके हैं. 1984 में उन्हें भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद वे पांच साल तक जेल में रहे. 1989 में वे पहली बार सांसद चुने गए और उनकी रिहाई के साथ ही तत्कालीन सरकार ने उन पर चल रहे तमाम मुकदमे भी वापस ले लिए थे.

खालिस्तान की मांग से भी है पहचान

दो बार सांसद रह चुके सिमरनजीत सिंह मान पृथक खालिस्तान की मांग के लिए भी जाने जाते हैं. पिछले काफी समय से उनका जनाधार लगातार कम हो रहा था, लेकिन 2015 में बेअदबी की घटनाओं के बाद बुलाए गए ‘सरबत खालसा’ ने उन्हें एक बार फिर से चर्चा में ला दिया.

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