लखनऊ कोर्ट में गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा की हत्या

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के वजीरगंज थाना क्षेत्र में मुख्तार अंसारी के करीबी की गोली मारकर हत्या करने का मामला सामने आया है. कातिल वकील की ड्रेस पहनकर आए थे और उन्होंने कचहरी में घुसकर वारदात को अंजाम दिया है.

वारदात को लखनऊ सिविल कोर्ट के बाहर अंजाम दिया गया है. मृतक की पहचान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया संजीव जीवा माहेश्वरी के रूप में हुई है. गोली लगने पर संजीव की मौके पर ही मौत हो गई. संजीव जीवा बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त दिवेदी की हत्या का आरोपी था. इसके अलावा वह कई दूसरे मामलों में अभियुक्त था. घटनास्थल पर इस समय भारी पुलिस बल मौजूद है.

संजीव जीवा पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर का रहने वाला था. उसका कनेक्शन मुख्तार अंसारी के साथ है. वह मुख्तार का शूटर रहा है. इसका नाम चर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी सामने आया था.  संजीव इस वक्त यूपी की लखनऊ जेल में बंद था.

संजीव जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद था. 90 के दशक में संजीव माहेश्वरी ने अपना खौफ पैदा शुरू किया था, फिर धीरे-धीरे वह पुलिस और आम लोगों के लिए सिर दर्द बनता चला गया. शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर की नौकरी करता था. इसी नौकरी के दौरान जीवा ने अपने मालिक यानी दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था.

इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती दो करोड़ की मांग की थी. उस वक्त किसी से दो करोड़ की फिरौती की मांग होना भी अपने आप में बहुत बड़ी होती थी. इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा, लेकिन उसके अंदर अपनी गैंग बनाने की तड़प थी.

इसके बाद उसका नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया. जिसमें संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. फिर जीवा थोड़े दिनों बाद मुन्ना बजरंगी गैंग में घुस गया और इसी क्रम में उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ. कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने के लिए तिकड़मी नेटवर्क था. इसी कारण उसे अंसारी का वरदहस्त भी प्राप्त हुआ और फिर संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया.

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