सत्याग्रह, दुराग्रह बन गया!

कांग्रेस कितनी हताशा, निराशा और भल्लाहट में है, इसका वह सार्वजानिक प्रदर्शन करने लगी है। देश की जनता इन्हें हर चुनाव में उठाकर कूड़ेदान में डालती है लेकिन ये अपनी कमियों को निहारने के बजाय नरेंद्र मोदी पर अमर्यादित शब्दबाण चला कर पुनः सत्ता का सिंहासन हासिल करने की नाकाम कोशिश में जुटे हैं।

यूँ तो बहुत पहले से कांग्रेस में गाली बिग्रेड गठित की हुई है लेकिन अब इसमें नए-नए जमूरे नौटंकी दिखाने सामने आ रहे हैं। सोनिया गाँधी ने मोदी को ‘मौत का सौदागर’ और राहुल ने ‘खून का सौदागर’ बता कर संकेत दे दिया था कि गाली ब्रिगेड को कैसे-कैसे तीक्ष्ण शब्दबाण छोड़ने हैं।

नागपुर कांग्रेस के शहर अध्यक्ष शेख हुसैन ने घोषणा कर दी कि मोदी कुत्ते की मौत मरेगा। फिर कांग्रेस के एम.एल.ए. इरफ़ान अंसारी ने सड़कों को खून से लाल करने की धमकी दे डाली और सुरजेवाला, जयराम रमेश, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद, इमरान प्रतापगढ़ी, दिग्विजय जैसे गालीबाजों से बुढ़वा सुबोधकांत सहाय मोदी को गरियाने में सबसे आगे निकल गए। सोनिया परिवार को अपनी वफ़ादारी दिखाते हुए ‘सत्याग्रह’ मंच पर उन्होंने जो कुछ कहा, उसे पूरे देश ने सुना। कांग्रेस का अब तक का हथकंडा रहा है कि गालियां दिलवाने के बाद उसका कोई प्रवक्ता कह दिया करता था कि यह अमुक नेता के अपने विचार हैं, पार्टी का कुछ लेना-देना नहीं किन्तु मोदी की हिटलर जैसी मौत की कामना तो सत्याग्रह के मंच से की गई है। सोनिया, प्रियंका, राहुल की इच्छा के बिना सुबोध, कुबोध नहीं बन सकते थे।

सत्याग्रह जैसे पवित्र शब्द की आड़ लेकर जंतर- मंतर पर ऐसा लगा कि कांग्रेस ने अखिल भारतीय महागाली प्रतियोगिता आयोजित की है। आखिर कांग्रेस कहाँ तक गिरेगी?

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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