अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक अचानक बंद हो गए। फर्स्ट रिपब्लिक बैंक की माली हालत भी अच्छी नहीं है। उधर स्विट्जरलैंड की इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी क्रेडिट सुइस कमजोर माली हालत का सामना कर रही है। दुनियाभर के शेयर बाजारों पर इन घटनाक्रम का असर देखा गया। भारतीय निवेशक भी पसोपेश में हैं कि किस तरह की रणनीति अपनाई जाए।
अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम में उथल-पुथल के चलते हो सकता है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाना बंद कर दे। यदि ऐसा हुआ तो इक्विटी मार्केट में गिरावट थम सकती है। तेजी भी लौट सकती है। ऐसे में दुनियाभर के निवेशक फिर शेयर बाजार का रुख करेंगे। इसका एक हिस्सा भारत जैसे बाजारों में आना चाहिए। फिर भी ये सतर्कता का समय है। बाजार में अभी काफी उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।
1. शेयरों के दाम घटने का लाभ लें
अपने कुल निवेश में इक्विटी पोर्टफोलियो का प्रतिशत देखें। यदि ये 20% या 30% से कम है तो चिंता की कोई बात नहीं है। ऐसे में आपको घटे हुए दाम का फायदा उठाते हुए 6-12 महीनों में धीरे-धीरे अच्छे शेयर खरीदना चाहिए। आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में भी निवेश बढ़ा सकते हैं।
2. रियल एस्टेट, गोल्ड में भी निवेश
पोर्टफोलियो में इक्विटी के अलावा दूसरे एसेट क्लास भी होने चाहिए। रियल एस्टेट, पीपीएफ, बैंक डिपॉजिट, सोना और डेट (जैसे बॉन्ड) इनमें शामिल है। यदि ऐसा है तो आपको सिर्फ वैसे शेयरों की जगह नए शेयर खरीदने हैं जो लंबे समय से अच्छा रिटर्न नहीं रहे हैं।
3. दो साल के प्रदर्शन पर गौर न करें
जून 1999 से अब तक कभी भी निफ्टी-50 में 5 साल या इससे ज्यादा समय के निवेश से नुकसान नहीं हुआ। निफ्टी के शेयरों में 10 साल तक के निवेश से 60% मौकों पर 15% से ज्यादा रिटर्न मिला है। इसलिए इक्विटी पोर्टफोलियो के दो साल के कमजोर प्रदर्शन को नजरअंदाज करें।
4. घबराएं नहीं, एसआईपी जारी रखें
एसआईपी (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के लिए बाजार गिरना फायदेमंद होता है। इसलिए गिरते बाजार में एसआईपी जारी रखें। ये गिरावट हमेशा नहीं रहेगी। अगले डेढ़ दशक में देश की विकास दर पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा रहने के आसार हैं। इसका असर बाजार पर भी दिखेगा।