किसी ने ठीक ही कहा है – समय हवा के पंख लगा कर दौड़ता है। हमारे सब के प्रिय आदर्श, उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हरदिल अजीज किसान-मजदूर नेता चौधरी नारायण सिंह को दिवंगत हुए 34 वर्ष गुज़र गए।
समाज का बहुत बड़ा तबका उनको बाबू जी के नाम से संबोधित करता था। अपना करियर उन्होंने मुजफ्फरनगर में वकील के रूप में आरम्भ किया। उनकी वकालत भी अजीब और विलक्षण थी। वे अपने मुवक्किल से कहते सच-सच बताओ क्या मामला है, सच्चाई जाने बिना मैं तुम्हारी पैरोकारी कैसे करूंगा। वास्तविकता का पता लगने पर वे कुछ गड़बड़ी देखते तो कहते – यह मुकदमा मैं नहीं लड़ सकता, अमक वकील लड़ लेगा। अनेक मामलों को टटोल कर वादी से कहते – मुकदमा लड़ने में क्या धरा है, तस्फिया करने में फायदा ही फायदा है। फिर दोनों पक्षों को बुला कर समझौते के कागज़ात तैयार करा देते। अपने जीवन में बाबूजी ने हजारों मुकदमों में आपसी समझौते कराये थे। वकालत के इस तरीके से अनेक नामी वकील परेशान रहते थे।
बाबूजी का राजनीतिक जीवन भी ऐसा ही आदर्शवादी रहा, जिसकी आज की कुलषित राजनीति में कल्पना भी नहीं की जा सकती।
ऐसी पुण्य आत्मा को हमारी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
गोविंद वर्मा
संपादक देहात