सिंध और पार्वती नदी की वजह से मध्य प्रदेश में तबाही के हालात

ग्वालियर-चंबल में तबाही मचाने वाली सिंध और पार्वती नदियां धीरे-धीरे अपनी हद में आ रही हैं। चंबल नदी के खतरे के निशान से ऊपर बहने की वजह से भिंड-मुरैना में हालात खराब हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन टीम ने गुरुवार दोपहर बाद यहीं फोकस किया। शिवपुरी, श्योपुर और दतिया में रेस्क्यू कर लोगों को राहत कैंपों में ठहराया गया है। शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, भिंड और ग्वालियर में 493 गांव पूरी तरह से डूब चुके हैं। इन गांवों में 55 हजार से ज्यादा की आबादी प्रभावित है। 5 दिनों में करीब 31 हजार लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है। इसमें से 16 हजार लोग 126 राहत कैंपों में हैं।

भिंड में चंबल का जलस्तर बढ़ा, सिंध नदी का 0.5 मीटर घटा

भिंड में चंबल और सिंध नदी दोनों ही उफान पर हैं। सिंध का जलस्तर 0.5 मीटर गिरा है। सुबह सिंध का जलस्तर 19.40 मीटर था। शाम को यह जलस्तर 19 मीटर तक आ गया। इधर, चंबल नदी में लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। दोपहर में चंबल नदी का जलस्तर 128.06 मीटर था। शाम को 128.50 मीटर हो गया। चंबल में अटेर क्षेत्र के एक दर्जन गांव सीधे तौर पर प्रभावित हो चुके हैं। मुरैना में चंबल का जलस्टर एक मीटर कम हो गया है।

भिंड-मुरैना में अब चंबल से खतरा

सिंध और पार्वती नदी की वजह से भिंड में पहले तबाही आई थी। अब चंबल नदी खतरे से 2 मीटर ऊपर बहने की वजह से गांवों में पानी घुस गया है। 25 गांव पूरी तरह से डूब गए हैं। यहां 10 हजार से ज्यादा आबादी प्रभावित है। गुरुवार दोपहर तक 1100 लोग निकाले जा चुके थे। अभी यहां पर रेस्क्यू चल रहा है। मुरैना भी चंबल उफान पर है। यहां पर 68 गांवों में 13 हजार से ज्यादा आबादी प्रभावित है। 6 हजार से ज्यादा लोगों को बचाया गया है। इसकी वजह से वहां भी परेशानी खड़ी हो गई है। कई गांवों में पानी घुस गया है। हालांकि, गुरुवार सुबह से चंबल के पानी में कमी आई है। एक मीटर तक जलस्तर नीचे आया है, लेकिन खतरे के ऊपर ही नदी बह रही है।8

शिवपुरी: सुबह से बारिश नहीं, सिंध भी उतरने लगी, फसलों को भारी नुकसान
शिवपुरी में सबसे ज्यादा तबाही मची है। यहां 309 गांव डूबे हैं, इससे 16 हजार से ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई है। 125 गांव की 4500 हेक्टेयर रकबे की फसलें नष्ट हो गई हैं। जिले भर में लगातार हो रही बारिश के कारण खेतों में बोई गई उड़द, तिल और सोयाबीन समेत अन्य फसलें प्रभावित हुई हैं। कृषि विभाग के मुताबिक, 125 गांवों में करीब 4.5 हजार हेक्टेयर यानी करीब 22,500 बीघा भूमि की फसल नष्ट हो गई है। यह बोई गई फसल का 30 से 35% हो सकता है। हालांकि, कृषि विभाग के उप संचालक यूएस तोमर का कहना है कि सर्वे के बाद नुकसान का आंकड़ा बढ़ सकता है। SDM ने सर्वे के लिए टीमें गठित कर दी हैं। इसमें पटवारी, आरएईओ और पंचायत सचिव को शामिल किया गया है।

श्योपुर: पार्वती, कूनो, क्वारी उतरी तो ऑपरेशन खत्म
सबसे पहले बाढ़ से स्थिति यहीं पर बिगड़ी थी। पार्वती, कूना और क्वारी नदी के उफान होने की वजह से श्योपुर, वीरपुर, विजयपुर और बड़ौदा कस्बा समेत 55 गांव डूब गए थे। यहां पर रेस्क्यू करके 8 हजार लोगों को निकाला गया है। बारिश बंद होने और नदियां उतरने की वजह से राहत मिली है। रेस्क्यू यहां पर बंद हो गया है।

दतिया: नया संकट पुल बहे, रास्ते बंद
सिंध नदी पर बने 4 पुल बहे हैं, इसकी वजह से कई गांवों और कस्बों का संपर्क टूटा हुआ है। हालांकि, सिंध नदी के उतरने से थोड़ी राहत है। रेस्क्यू बंद कर दिया गया है। 4 दिनों में यहां 12500 से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू किया गया है। 20 राहत कैंप में करीब 5 हजार लोगों ने शरण ली है।

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