स्मृति शेष: अत्यंत सादगी से संपन्न हुआ था अजीत सिंह का विवाह

किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह के जीवन पर भारतीय ग्रामीण संस्कृति की छाप आजीवन रही। गाजियाबाद की कचहरी से वकील के रूप में और प्रधानमंत्री के रूप में दिल्ली के लाल किले की प्राचीर तक उनका जीवन सरलता व सादगी से बीता।

अपने एकमात्र पुत्र का विवाह भी उन्होंने अत्यंत सादगी से संपन्न कराया था। चौ. अजीत सिंह का विवाह इंजीनियर सुखबीर सिंह की पुत्री राधिका से अलीगढ़ में सन् 1968 में संपन्न हुआ था। इंजीनियर साहब मुजफ्फरनगर में सिंचाई अभियंता के पद पर तैनात थे। वे चौधरी साहब की इमानदारी व सरलता के कायल थे। सुखबीर सिंह की ‘देहात‘ के संपादक राजरूप सिंह वर्मा से गहरी मित्रता थी। अजीत-राधिका का रिश्ता पक्का हो जाने पर इंजीनियर साहब ने पिता श्री से कहा कि आप कन्या पक्ष की ओर से शादी में शामिल होंगे। पिताश्री एवं माता मायारानी इस विवाह में सम्मिलित होने अलीगढ़ गये।

अलीगढ़ से लौटने पर माता-पिता ने हमें बताया कि विवाह कितनी सादगी से संपन्न हुआ। चौधरी साहब वर अजीत सिंह के साथ लखनऊ से ट्रेन की एक बोगी बुक करा कर चंद बारातियों के साथ अलीगढ़ पहुंचे थे। बारात में न लाव-लश्कर, न हल्लागुल्ला और न बैंडबाजों की धूम थी। कन्या पक्ष की ओर से कोई धूमधड़ाका नही था। बारात को खाने में लवाजमात, भांति-भांति के व्यंजन परोसने की औपचारिकता नहीं थी। सरलतापूर्वक वैदिक रीति से विवाह संपन्न कराया गया। वर पक्ष की ओर से बरी के सम्मान में बहुमूल्य आभूषण आदि कोई भी सोने का जेवर नहीं चढ़ाया गया। कन्या ने अपने मायके के आभूषण ही पहने हुए थे। फूलों की मालाओं के आदान-प्रदान से विवाह संपन्न हुआ। इस प्रकार अजीत-राधिका का विवाह सादगी की मिसाल बना।

अजीत राधिका का आदर्श विवाह हमारे जन प्रतिनिधियों को शायद ही अच्छा लगे। अब तो नेताओं की औलादों के विवाह रुतबा और सम्पन्नता प्रदर्शित करने के साधन बन गए है।

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

फोटो: चौधरी चरण सिंह व अन्य के साथ अजीत सिंह – राधिका।

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