लड़कियों की विवाह की उम्र 21 वर्ष किए जाने के फैसले को सपा सांसद एवं पेशे से चिकित्सक डा. एसटी हसन ने गलत करार दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के इंसान की औसल उम्र 60 साल है। महिलाओं की प्रजनन उम्र 17-18 से तीस साल तक की उम्र बेहतर होती है। इस उम्र के निकल जाने पर कई महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर इसका असर पड़ता है।
उन्होंने कहा कि इधर मेल पार्टनर की उम्र शादी के समय लड़की की उम्र से कई बार काफी अधिक होती है। उन्होंने कहा कि हर मनुष्य चाहता है कि उसकी औलाद बुढ़ापे में उसका सहारा बने। यह प्राकृतिक चेन है। अगर देर से शादी होगी तो बुढ़ापे के समय उसकी औलाद पढ़ती होगी। वह अपने बुजुर्ग की देखभाल नहीं कर पाएगी। ऐसा कर हम प्राकृतिक चेन को तोड़ने का काम कर रहे हैं। जब भी नेचुरल साइकिल को हम तोड़ते हैं तो उसका नुकसान इंसान को भुगतना पड़ता है।
सांसद ने तर्क दिया कि जब बालिकाएं 18 साल की उम्र में मतदान कर सकती हैं। एमपी, एमएलए चुन सकती हैं। बालिग हैं तो शादी क्यो नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि इंग्लैंड में मॉ-बाप की परमीशन से 16 साल में ही शादी की जा सकती है। यही नहीं अमेरिका के एक शहर में तो 14 साल की उम्र में भी मां-बाप की परमीशन से लड़कियों की शादी की जाती है। इस लिहाज से भारत में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल ही रहनी चाहिए।