श्रीनगर मुठभेड़: डीजीपी बोले- महबूबा सच जानते हुए भी अफवाह फैलाती हैं

पीडीपी(पीपुल्ल डेमोक्रेटिक पार्टी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती के रामबाग इलाके में हुई मुठभेड़ पर दिए गए बयान को लेकर डीजीपी दिलबाग सिंह ने प्रतिक्रिया दी है। सिंह ने कहा कि घाटी में कुछ लोग हैं जो वास्तविकता जानते हैं, फिर भी उससे परे बात करते हैं। आतंकियों के मारे जाने को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाते हैं। साथ ही आतंकियों को निर्दोष बताते हुए उनके प्रति सहानुभूति दिखाते हैं।

सिंह ने कहा कि रामबग मुठभेड़ में तीन आतंकी मारे गए थे। जिसमें मारा गया मेहरान श्रीनगर के डाउनटाउन का रहने वाला था। अराफात शेख और मंजूर अहमद मीर पुलवामा के रहने वाले थे। ये दोनों पहले आतंकियों के मददगार के रूप में टीआरएफ(द रेजिस्टेंस फ्रंट) सरगना अब्बास शेख के लिए काम करते थे। मेहरान भी अब्बास को रसद और शरण मुहैया करा रहा था।

डीजीपी ने कहा कि वह पुलिस कर्मी अरशद की हत्या के साथ ही नागरिकों की हत्या में शामिल था। उसने जून महीने में ग्रेनेड हमला भी किया था। इस हमले में एक नागरिक मारा गया था और तीन घायल हुए थे। उसने श्रीनगर के नवाकदल में नागरिक की हत्या की थी। मेहरान श्रीनगर के ईदगाह इलाके में स्कूल में घुसकर की गई शिक्षक व महिला सिख प्रिंसिपल की हत्या में शामिल था।

मुठभेड़ के बाद उसकी प्रामाणिकता को लेकर जायज शक पैदा हो गए- महबूबा
महबूबा ने कहा था कि रामबाग में हुई कथित मुठभेड़ के बाद उसकी प्रामाणिकता को लेकर जायज शक पैदा हो गए हैं। पीडीपी प्रमुख ने आरोप लगाया कि खबरों और चश्मदीदों के मुताबिक ऐसा लगता है कि गोलीबारी एकतरफा थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘एक बार फिर आधिकारिक बयान जमीनी हालात से मेल नहीं खाता जैसा कि शोपियां, एचएमटी और हैदरपोरा में देखा गया था। मारे गए आतंकियों की पहचान टीआरएफ सरगना मेहरान और पुलवामा निवासी मंजूर अहमद मीर और अराफात शेख के तौर पर की गई है।

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