बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को लालू यादव के खिलाफ भूमि-के-लिए-नौकरी घोटाले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।
कानूनी प्रक्रिया शुरू
राष्ट्रपति ने सीआरपीसी की धारा 197(1) और बीएनएसएस, 2023 की धारा 218 के तहत मुकदमे की अनुमति प्रदान की है। अगस्त 2024 में ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत लालू यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
आरोप और आरोप पत्र
जनवरी 2024 में ईडी ने पहला आरोप पत्र दाखिल किया, जिसमें लालू यादव के कथित सहयोगी अमित कत्याल, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती, हेमा यादव और दो कंपनियां—ए के इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड व एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
घोटाले का मामला
यह मामला 2004-2009 के बीच का है, जब लालू यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे। सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार, रेलवे में ग्रुप डी की भर्तियों में भ्रष्टाचार हुआ। आरोप है कि नौकरी देने के बदले उम्मीदवारों से जमीन ली गई, जो बाद में लालू परिवार के नाम पर दर्ज कर दी गई।
अदालत की प्रक्रिया
सीबीआई ने अब तक तीन आरोप पत्र दाखिल किए हैं, जबकि ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू पर दो अभियोजन शिकायतें दायर की हैं। विशेष अदालत ने इन पर संज्ञान लेते हुए अगली सुनवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
चारा घोटाले में भी सजा
गौरतलब है कि लालू यादव को पहले भी चारा घोटाले में दोषी ठहराया जा चुका है। मुख्यमंत्री रहते हुए इस घोटाले में उनकी संलिप्तता साबित हुई थी।