बिहार में शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुए निकाय चुनाव, पहली बार हुआ ई-वोटिंग का प्रयोग

बिहार के 26 जिलों की 42 नगरपालिकाओं में आम और उपचुनाव शनिवार को शांतिपूर्वक सम्पन्न हुए। इस दौरान कुल 121 वार्ड पार्षद, 08 उप मुख्य पार्षद और 07 मुख्य पार्षद पदों के लिए वोट डाले गए। इस चुनाव की खास बात यह रही कि राज्य में पहली बार ऑनलाइन माध्यम से मतदान की शुरुआत हुई।

जो मतदाता मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच सके, उन्होंने मोबाइल एप के जरिए ई-वोटिंग की। निर्वाचन आयोग के अनुसार इस प्रक्रिया में 70.2 प्रतिशत मतदाताओं ने ई-वोटिंग की, जबकि 54.63 प्रतिशत लोगों ने पारंपरिक मतदान केंद्रों पर वोट डाले। ई-वोटिंग के लिए पहले से पंजीकरण कर चुके मतदाताओं ने सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक मतदान किया।

तकनीक से सुसज्जित रहा मतदान तंत्र

आयोग की ओर से चुनाव को पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने के लिए कई तकनीकी उपाय अपनाए गए। इसमें ईवीएम के उपयोग के साथ-साथ एफआरएस (फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम) से मतदाता की पहचान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित लाइव वेबकास्टिंग, और गड़बड़ी की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए निगरानी कंट्रोल रूम की स्थापना शामिल रही।

538 उम्मीदवार मैदान में, 3.79 लाख से अधिक मतदाता

चुनाव के लिए 489 मतदान केंद्र बनाए गए थे, जहां कुल 538 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। इनमें 242 पुरुष और 296 महिलाएं थीं। मतदाताओं की कुल संख्या 3,79,674 रही, जिनमें 1,97,129 पुरुष, 1,82,539 महिलाएं और 12 अन्य मतदाता शामिल थे।

ई-वोटिंग एप से 40 हजार से अधिक मतदाताओं ने किया घर से मतदान

इस बार मतदाताओं को पहली बार अपने घर से ही मतदान करने की सुविधा मिली। आयोग द्वारा विकसित मोबाइल एप्स SECBHR और SECBIHAR के जरिए 40,280 पंजीकृत मतदाताओं ने सफलतापूर्वक अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

2121 मतदानकर्मी और 6500 से अधिक पुलिस बल की तैनाती

मतदान प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए 489 पीठासीन अधिकारियों समेत कुल 2121 मतदानकर्मी तैनात किए गए। सुरक्षा के लिहाज से 1502 पुलिस अधिकारियों और 5047 जवानों को ड्यूटी पर लगाया गया। संवेदनशील मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग के जरिए निगरानी रखी गई।

फर्जी वोटिंग पर सख्त निगरानी और कार्रवाई की व्यवस्था

मतदाता सत्यापन के लिए एफआरएस सिस्टम को प्रत्येक मतदान केंद्र पर लागू किया गया। यदि कोई व्यक्ति दोबारा मतदान की कोशिश करता है तो उसकी पहचान तुरंत हो जाती है। फर्जी मतदान की पुष्टि पर नगर पालिका अधिनियम, 2007 की धारा 462 और आईपीसी की धारा 171 डी एवं 171 एफ के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। किसी भी तरह की शिकायत या गड़बड़ी की जानकारी के लिए निर्वाचन नियंत्रण कक्ष सक्रिय रहा।

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