वक्फ रैली पर सियासी जंग: तेजस्वी पर विजय सिन्हा और मांझी का तीखा वार

बिहार में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में आयोजित रैली को लेकर सियासत गरमा गई है। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला है। विजय सिन्हा ने आरोप लगाया कि वक्फ कानून के नाम पर विपक्ष लोकतांत्रिक परंपराओं को कमजोर कर रहा है और समाज को भ्रमित कर अराजकता फैलाने की कोशिश की जा रही है।

“बिल राष्ट्रहित में, तुष्टिकरण नहीं होगा” – विजय सिन्हा

विजय सिन्हा ने कहा कि यह विधेयक न्यायिक प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार संसद से पारित हुआ है। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना है, न कि धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करना। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि पारदर्शी प्रशासन और जवाबदेही की दिशा में एक कदम है।

सिन्हा ने आरोप लगाया कि राजद और कांग्रेस की राजनीति केवल भावनाएं भड़काकर वोटबैंक साधने की है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग धार्मिक तुष्टिकरण की नीति को आगे बढ़ाकर फिर से मिलीभगत और भ्रष्टाचार को लौटाना चाहते हैं।

“वक्फ बोर्ड पर नियंत्रण नहीं, पारदर्शिता ज़रूरी”

डिप्टी सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि संशोधित विधेयक के तहत गैर-मुस्लिम सदस्य वक्फ बोर्ड में धार्मिक कार्यों से नहीं, बल्कि प्रशासनिक व चैरिटेबल कार्यों से जुड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि चैरिटी कमिश्नर किसी भी धर्म का हो सकता है, और उसका कार्य केवल यह सुनिश्चित करना होगा कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग नियमों के अनुरूप हो।

मांझी का तीखा तंज—“तेजस्वी अपने घर से करें सुधार”

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि वक्फ कानून को लेकर तेजस्वी केवल राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ व कब्रिस्तान की जमीनों पर अधिकांश कब्जे राजद से जुड़े लोगों द्वारा किए गए हैं। मांझी ने कहा कि यदि तेजस्वी सच में मुस्लिम समुदाय के हितैषी हैं, तो उन्हें पहले अपने समर्थकों द्वारा किए गए अतिक्रमण हटवाने चाहिए।

“राजनीतिक मंच नहीं, समाधान चाहिए”

मांझी ने यह भी कहा कि यदि तेजस्वी वास्तव में समाज की भलाई चाहते हैं तो उन्हें समाधान की दिशा में काम करना चाहिए, न कि रैलियों और नारों से जनता को गुमराह करना। उन्होंने कहा कि वक्फ कानून को “कूड़ेदान” में फेंकने जैसा बयान सिर्फ सस्ती राजनीति है, और जनता अब इन हथकंडों को समझ चुकी है।

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