बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन पर बवाल, एडीआर ने एससी में दी चुनौती

पटना। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर राज्य की सियासत गरमा गई है। चुनाव आयोग की ओर से जारी निर्देशों के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।

ADR की याचिका में उठे गंभीर सवाल

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि 24 जून 2025 को चुनाव आयोग द्वारा जारी आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 के साथ-साथ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 तथा निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। याचिका में इस आदेश को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से रिट और निर्देश जारी करने की मांग की गई है।

नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज की शर्त पर विवाद

चुनाव आयोग के हालिया निर्देश में उन लोगों को दस्तावेज देने के लिए कहा गया है, जो 2003 की मतदाता सूची में शामिल नहीं हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह प्रक्रिया न सिर्फ मनमानी है बल्कि उचित कानूनी प्रक्रिया के बिना लाखों लोगों को उनके मताधिकार से वंचित कर सकती है, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की संवैधानिक भावना प्रभावित हो सकती है।

विपक्ष ने कहा—‘वोटबंदी’ की साजिश

इस मुद्दे पर बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दल इसे “वोटबंदी” की संज्ञा दे रहे हैं। उनका आरोप है कि जिन दस्तावेजों की मांग की जा रही है, उनकी अनुपलब्धता के कारण हजारों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हट सकते हैं।

तेजस्वी यादव ने राज्य चुनाव आयोग से की मुलाकात

राजद नेता और पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के अन्य नेताओं के साथ राज्य चुनाव आयोग से मुलाकात कर इस प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज कराई। बैठक के बाद उन्होंने कहा, “बिहार में चुनाव आयोग के स्थानीय अधिकारी केवल संदेशवाहक हैं, जबकि असली निर्देश दिल्ली से जारी हो रहे हैं और यह पूरा तंत्र कहीं और से संचालित किया जा रहा है।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here