छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला मामले में एक बार फिर एसीबी-ईओडब्ल्यू ने बड़ी कार्रवाई की है। शनिवार को टीम ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके करीबियों के कई ठिकानों पर छापेमारी की। रायपुर, दंतेवाड़ा, अंबिकापुर, सुकमा, तोंगपाल और जगदलपुर सहित लगभग 15 स्थानों पर छापे मारे गए। सुकमा में चार स्थानों पर भी तलाशी अभियान चलाया गया।
ईडी का बड़ा आरोप: 2,000 करोड़ का घोटाला
शराब घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रायपुर की स्पेशल कोर्ट में 3,841 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है। इस मामले में पूर्व मंत्री कवासी लखमा सहित 21 लोगों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। इसमें रायपुर के पूर्व मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और कई अन्य शराब कंपनियों के नाम शामिल हैं।
- लखमा की गिरफ्तारी और पूछता
कवासी लखमा को 15 जनवरी 2025 को ईडी ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले उनसे दो बार लंबी पूछताछ हुई थी। पूछताछ के दौरान यह सामने आया कि लखमा को हर महीने दो करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर मिलते थे, जिसे उन्होंने कांग्रेस भवन और निजी मकान बनाने में खर्च किया।
कैसे हुआ खुलासा?
शराब दुकानों में डुप्लिकेट होलोग्राम का उपयोग कर बड़े पैमाने पर अवैध शराब बेची गई थी, जिससे राज्य को करोड़ों का नुकसान हुआ। ईडी की जांच में पता चला कि नोएडा की प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दिलाने के लिए घूस ली गई थी।
निवेश और वित्तीय हेरफेर
जांच में यह भी सामने आया कि घोटाले से अर्जित धनराशि को आरोपियों ने अपने परिजनों और कंपनियों में निवेश किया। अनिल टुटेजा ने अपने बेटे के नाम पर, अरुणपति त्रिपाठी ने अपनी पत्नी के नाम पर और अनवर ढेबर ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर संपत्तियां खरीदीं।
क्या है घोटाले का स्वरूप?
भूपेश सरकार के कार्यकाल (2019-2022) के दौरान शराब दुकानों में नकली होलोग्राम का उपयोग कर अवैध शराब बेची गई। सरकारी खरीद और बिक्री प्रक्रिया में भ्रष्टाचार हुआ। जांच के दौरान कई आईएएस अधिकारियों और नेताओं के नाम भी सामने आए।
आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
ईडी ने इस घोटाले में शामिल 100 से अधिक लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। इनमें कई पूर्व मंत्री, विधायक, अधिकारी और शराब कारोबारी शामिल हैं। जांच एजेंसियों का दावा है कि मामले में और भी नाम सामने आ सकते हैं।