छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में एक रेप केस में अहम फैसला सुनाया है, जिसमें शादी का झांसा देने के आरोप में एक व्यक्ति को बरी कर दिया गया। कोर्ट ने यह निर्णय इस आधार पर दिया कि महिला आरोपी के साथ वर्षों तक सहमति से साथ रही थी और उसे पति के रूप में स्वीकार भी किया था।
क्या था मामला?
यह मामला रामगढ़ जिले के चक्रधर थाना क्षेत्र का है। शिकायतकर्ता महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने शादी का वादा कर उसके साथ संबंध बनाए। महिला पहले से शादीशुदा थी लेकिन उसके अनुसार, पति शराब की लत में डूबा था। इसी दौरान उसकी मुलाकात आरोपी से हुई, जिसने उससे शादी का वादा कर सहवास किया और पति को छोड़ने का सुझाव भी दिया।
2008 में हुई थी मुलाकात
महिला बिलासपुर के एक एनजीओ में काम करती थी, जहां 2008 में उसकी मुलाकात आरोपी से हुई। दोनों एक किराए के मकान में पति-पत्नी की तरह रहने लगे और उनके तीन बच्चे भी हुए। 11 साल तक साथ रहने के बाद 2019 में युवक यह कहकर निकला कि वह रायपुर जा रहा है और जल्द लौटेगा, लेकिन वह वापस नहीं आया। इसके बाद महिला ने रेप का मामला दर्ज करवाया।
हाईकोर्ट में चुनौती और फैसला
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ रेप का आरोप तय कर दिया था, जिसे युवक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि दोनों सहमति से साथ रह रहे थे और महिला ने सभी सरकारी दस्तावेजों में युवक को पति के रूप में दर्ज किया था — जैसे वोटर आईडी और राशन कार्ड में।
हाईकोर्ट ने यह माना कि यदि दोनों ने वर्षों तक एक-दूसरे को पति-पत्नी की तरह स्वीकार किया और साथ रहे, तो यह मानना कठिन है कि महिला को धोखे में रखकर संबंध बनाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के पूर्ववर्ती निर्णयों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलट दिया और आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।