दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्रियों सौरभ भारद्वाज व सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को लेकर मुकदमा दर्ज किया है। दोनों पर स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद और अस्पताल परियोजनाओं में वित्तीय अनियमितताओं में संलिप्त होने का आरोप है।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (एसीबी) मधुर वर्मा ने जानकारी दी कि वर्ष 2018-19 में दिल्ली सरकार ने 5,590 करोड़ रुपये की लागत से 24 अस्पताल परियोजनाओं को स्वीकृति दी थी। इन परियोजनाओं में अनुचित देरी और लागत में भारी वृद्धि देखने को मिली, जो बड़े पैमाने पर गबन की ओर संकेत करती है।
शिकायत के बाद कार्रवाई
यह मामला पहले 22 अगस्त 2024 को दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर शुरू हुआ था, जिसमें स्वास्थ्य ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं में गंभीर अनियमितताओं और संभावित भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। इनमें परियोजना बजट में गड़बड़ी, सार्वजनिक धन का दुरुपयोग और निजी ठेकेदारों से मिलीभगत की बात सामने आई थी।
अस्पताल परियोजनाओं में भारी गड़बड़ी का आरोप
2018-19 में स्वीकृत 24 अस्पतालों में से सात ICU अस्पतालों को 1,125 करोड़ रुपये में निर्माण के लिए मंजूरी दी गई थी, लेकिन तीन साल में सिर्फ 50 फीसदी निर्माण ही हो पाया, और लागत 800 करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है। लोकनायक अस्पताल के न्यू ब्लॉक प्रोजेक्ट की मंजूर लागत 465 करोड़ रुपये थी, जबकि अब तक 1,125 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। वहीं, 94 पॉलीक्लिनिक निर्माण के लिए 168.52 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे, लेकिन केवल 52 का निर्माण करके ही 220 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए।
परियोजनाओं में पारदर्शिता पर सवाल
एसीबी की जांच में सामने आया कि जानबूझकर देरी, परियोजना लागत में अनुचित वृद्धि, लागत-प्रभावी तकनीकों को खारिज करना और सरकारी धन का दुरुपयोग एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया। इसके चलते सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा है।
लोक निर्माण विभाग की सिफारिश और सतर्कता विभाग की स्वीकृति
लोक निर्माण विभाग ने इन परियोजनाओं में सामने आए उल्लंघनों को देखते हुए विस्तृत सतर्कता जांच की अनुशंसा की है। इसमें विशेष रूप से आईसीयू अस्पतालों, पॉलीक्लिनिकों और अन्य परियोजनाओं की निष्पक्ष जांच कर जिम्मेदारों की पहचान करने की बात कही गई है। इसके बाद सतर्कता विभाग ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-ए के तहत जांच के लिए अनुमति देने हेतु यह प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजने की सिफारिश की, जिसे बाद में अनुमोदन प्राप्त हुआ।