दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने राजधानी की जल व्यवस्था को सुदृढ़ और यमुना नदी को स्वच्छ बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के वित्तीय अधिकारों में व्यापक वृद्धि की घोषणा की है, जिससे अब बोर्ड करोड़ों की लागत वाली परियोजनाओं को स्वयं स्वीकृत कर उन्हें धरातल पर उतार सकेगा।
अब बोर्ड को नहीं लेनी होगी कैबिनेट की मंजूरी
मुख्यमंत्री ने बताया कि जल बोर्ड अब नालों के शोधन, यमुना के सफाई कार्यों और नियमित पेयजल आपूर्ति से जुड़ी परियोजनाओं के लिए सीधे निर्णय लेने में सक्षम होगा। इस निर्णय के तहत अब बोर्ड की कई परियोजनाओं को मंजूरी के लिए कैबिनेट में नहीं ले जाना पड़ेगा, जिससे कार्यों में तेजी लाई जा सकेगी।
प्रशासनिक दक्षता की दिशा में बड़ा कदम
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि सरकार का यह निर्णय शासन व्यवस्था को अधिक सशक्त, प्रभावी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” के दृष्टिकोण को लागू करने की दिशा में है।
जल बोर्ड के अधिकारियों को बढ़े वित्तीय अधिकार
नई व्यवस्था के तहत जल बोर्ड के अध्यक्ष को 50 करोड़ रुपये तक, सीईओ को 25 करोड़ रुपये तक, जबकि अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी पांच करोड़ रुपये तक की परियोजनाएं स्वीकृत करने के अधिकार दिए गए हैं। इससे योजनाओं की मंजूरी में लगने वाला समय घटेगा और निर्णय प्रक्रिया तेज होगी।
योजना कार्यान्वयन में होगी गति
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक यमुना शुद्धिकरण और पेयजल आपूर्ति की कई योजनाएं फाइलों तक सीमित थीं, लेकिन अब निर्णय प्रक्रिया में तेजी आने से योजनाएं समयबद्ध रूप से पूरी की जा सकेंगी। नालों की सफाई के लिए जहां आवश्यक होगा वहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और डीसिल्टिंग संयंत्र लगाए जाएंगे। साथ ही नई पाइपलाइन बिछाने, बूस्टिंग स्टेशन और अन्य संरचनाएं खड़ी करने की प्रक्रिया को भी तेज किया जाएगा।
पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर
सरकार ने जल बोर्ड की कार्यप्रणाली को पूरी तरह पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की बात कही है। इससे न केवल भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम होगी बल्कि अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब जनता को लंबे कागजी प्रक्रियाओं में उलझाने के बजाय जमीनी परिणाम देने पर जोर रहेगा।
यमुना के कायाकल्प की दिशा में निर्णायक पहल
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय यमुना नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने, नालों के प्रदूषण को नियंत्रित करने और राजधानीवासियों को शुद्ध पेयजल की सुविधा प्रदान करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। उन्होंने विश्वास जताया कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही जनहित से जुड़े बड़े फैसले संभव हो पाते हैं, और उनकी सरकार इसी सिद्धांत पर काम कर रही है।