ऑपरेशन सिंधु: ईरान से तीसरी फ्लाइट की लैंडिंग, 517 भारतीय लौटे वतन

ईरान और इज़राइल के बीच लगातार बढ़ते सैन्य तनाव के बीच भारत सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया है। इस अभियान के तहत अब तक कुल 517 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाया जा चुका है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, ईरान में इस समय लगभग 10,765 भारतीय नागरिक निवास कर रहे हैं।

शनिवार, 21 जून को ‘ऑपरेशन सिंधु’ के अंतर्गत तीसरी निकासी उड़ान के जरिए 117 भारतीयों को तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात से भारत लाया गया। यह फ्लाइट सुबह 3:00 बजे नई दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरी।

विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि यह उड़ान ईरान में फंसे भारतीयों को लेकर अश्गाबात से दिल्ली पहुंची। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत अब तक कुल 517 नागरिकों को सुरक्षित वापस लाया गया है।

इससे पहले शुक्रवार रात, मशहद से एक विशेष विमान 290 भारतीय छात्रों को लेकर दिल्ली पहुंचा था। इनमें अधिकतर छात्र जम्मू-कश्मीर के निवासी हैं।

“हम भयभीत थे, सरकार ने बचाया” – लौटे नागरिकों का बयान

ईरान से भारत लौटे जफ़र अब्बास नकवी ने बताया, “हम भारी तनाव और हमलों के बीच थे। जैसे ही हालात बिगड़े, हमने भारत सरकार से संपर्क किया। हमारी सहायता जिस तेज़ी से की गई, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हम दिल से धन्यवाद करते हैं।”

वहीं, जिया कुलसुम ने कहा, “हम बहुत डरे हुए थे। हालात बेहद खराब थे, लेकिन सरकार की तत्परता ने हमें सुरक्षित वापस ला दिया।”

छात्रों ने जताया प्रधानमंत्री का आभार

जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन ने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर का आभार जताया। उन्होंने लिखा कि मशहद से जो फ्लाइट 290 छात्रों को लेकर भारत पहुंची, उसमें अधिकतर छात्र जम्मू-कश्मीर से हैं। एसोसिएशन ने भारत सरकार के त्वरित हस्तक्षेप की सराहना की।

पहली फ्लाइट से लौटे थे 110 छात्र

ऑपरेशन सिंधु के पहले चरण में 19 जून को 110 भारतीय छात्रों को लेकर एक विमान दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचा था। ये सभी छात्र उर्मिया मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे। इन्हें पहले सड़क मार्ग से ईरान से आर्मेनिया पहुंचाया गया, फिर वहां से दोहा होते हुए भारत लाया गया।

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