भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य संस्थानों में सतर्कता बढ़ा दी गई है। इसी कड़ी में सफदरजंग अस्पताल ने डॉक्टरों की सभी छुट्टियां रद्द कर दी हैं। अस्पताल प्रशासन ने निर्देश जारी कर कहा है कि मौजूदा हालात के मद्देनज़र सभी चिकित्सकों को आपात स्थिति से निपटने के लिए तत्पर रहना होगा। जानकारी के अनुसार गर्मियों के दौरान सफदरजंग अस्पताल के लगभग आधे चिकित्सक अवकाश पर रहते हैं, जिससे सामान्य सेवाओं पर असर पड़ता है।
अन्य प्रमुख अस्पतालों में भी आदेश की तैयारी
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल की प्राचार्य डॉ. गीतिका खन्ना द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि हालात की गंभीरता को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। साथ ही यह संभावना जताई जा रही है कि एम्स, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज सहित अन्य केंद्रीय अस्पताल भी जल्द इसी प्रकार के कदम उठा सकते हैं। एम्स में 16 मई से 15 जुलाई तक ग्रीष्मकालीन अवकाश तय थे, जिन्हें टालने पर विचार किया जा रहा है।
सेवाओं पर असर रोकने की कोशिश
गर्मियों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण ओपीडी, सर्जरी और अन्य जांच सेवाओं में देरी होती है, जिससे मरीजों को लंबी प्रतीक्षा सूची का सामना करना पड़ता है। लेकिन छुट्टियां रद्द होने से अस्पतालों में उपलब्ध स्टाफ की संख्या बनी रहेगी और चिकित्सा सेवाएं प्रभावित नहीं होंगी। आपात स्थितियों में मरीजों को प्राथमिकता देना आसान होगा।
हर दिन 50 हजार तक मरीज, राहत की उम्मीद
सफदरजंग, आरएमएल और अन्य बड़े सरकारी अस्पतालों में रोजाना 40 से 50 हजार तक मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं। इनमें बड़ी संख्या में सर्जरी और विशेष जांच के केस शामिल होते हैं। डॉक्टरों की उपस्थिति बनी रहने से मरीजों को समय पर इलाज और जांच की सुविधा मिल सकेगी।