सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल और आतिशी की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई स्थगित की

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल और आतिशी मार्लेना द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई को टाल दिया, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें भाजपा दिल्ली के नेता राजीव बब्बर द्वारा ट्रायल कोर्ट में दायर मानहानि की शिकायत में जारी समन को रद्द करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था.

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने स्थगन देते हुए कहा कि किसी और जगह हिसाब चुकता कर लो, एक राजनीतिक व्यक्तित्व के तौर पर पहली चीज जो आपको करनी चाहिए, वह है मोटी चमड़ी.

जस्टिस बिंदल ने कहा कि यह एक नए तरह का मुकदमा है. राजीव बब्बर और अरविंद केजरीवाल के वकील पेश हुए और उन्होंने चार सप्ताह का समय मांगा. न्यायालय ने मामले में 30 सितंबर, 2024 को नोटिस जारी किया था और आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.

बता दें कि इन दोनों नेताओं पर आरोप है कि 2018 में दिल्ली में मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम हटाए जाने पर उन्होंने विवादास्पद टिप्पणी की थी. भाजपा के नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर इस मामले में बब्बर ने आरोप लगाया कि केजरीवाल और आतिशी ने अपने बयानों के जरिए पार्टी को बदनाम किया.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और शिकायतकर्ता राजीव बब्बर को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा था इसके साथ ही कोर्ट ने निचली अदालत में मामले की कार्यवाही पर रोक लगाए रखने का आदेश दिया.

केजरीवाल और आतिशी की ओर से क्या कहा गया

अरविंद केजरीवाल और आतिशी ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 2 सितंबर के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उच्च न्यायालय ने बब्बर द्वारा दायर मानहानि मामले को खारिज करने से इनकार कर दिया था. उच्च न्यायालय ने कहा था कि आरोप “अपमानजनक” थे और इनका उद्देश्य भाजपा को बदनाम करना और राजनीतिक लाभ हासिल करना था.

केजरीवाल और आतिशी ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने अपनी टिप्पणियों को राजनीति से प्रेरित और बेहद अनुचित बताया, साथ ही यह भी कहा कि बब्बर पीड़ित पक्ष नहीं हैं. मानहानि के इस मामले में आप पार्टी के दो अन्य नेताओं सुशील कुमार गुप्ता और मनोज कुमार का नाम भी है.

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