पटियाला हाउस कोर्ट ने 26/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा की अपने परिजनों से बात करने की याचिका खारिज कर दी। गुरुवार को विशेष न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने राणा के आवेदन पर उसके अधिवक्ता और एनआईए की दलील सुनने के बाद कहा कि राणा को परिजनों से बात करने की अनुमति नहीं है।
इस बिंदु पर खारिज हुई याचिका
23 अप्रैल को एनआईए ने राणा की याचिका का विरोध करते हुए दलील दी थी कि उसको अगर अपने परिवार के सदस्यों से बात करने की अनुमति दी गई, तो वह महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर सकता है।
ये राणा का मौलिक अधिकार
एजेंसी ने कहा कि मामला अभी महत्वपूर्ण चरण में है। वहीं, राणा की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी थी कि विदेशी नागरिक होने के नाते ये राणा का मौलिक अधिकार है कि वह अपने परिवार से बात करे, जो उसके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं। बता दें कि पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी राणा (64 वर्षीय) को 10 अप्रैल को कोर्ट ने 18 दिन की हिरासत में भेज दिया था।
एनआईए ने आरोप लगाया कि डेविड कोलमैन हेडली अपराधी साजिश का हिस्सा था, उसने भारत आने से पहले राणा से पूरी योजना पर चर्चा की थी। हेडली ने संभावित चुनौतियों का अनुमान लगाते हुए राणा को एक ईमेल भेजा था, जिसमें उसने अपनी संपत्तियों और चीजों की जानकारी दी थी।
एनआईए ने आरोप लगाया कि हेडली ने राणा को यह भी बताया था कि इस साजिश में पाकिस्तान नागरिक इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान भी शामिल हैं, जो इस मामले में आरोपी भी हैं। राणा 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी (जो अमेरिका का नागरिक है) का करीबी सहयोगी था। उसे चार अप्रैल को भारत लाया गया, जब अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर उसकी पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया।
26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादी समुद्री मार्ग से भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में घुस आए थे और उन्होंने रेल स्टेशन, दो लग्जरी होटल और एक यहूदी केंद्र पर एक साथ हमले किए थे। ये हमले करीब 60 घंटे तक जारी रहे, जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी।