हरियाणा में बिजली शुल्क में हुई वृद्धि को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। आम लोगों के साथ-साथ सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने सरकार के इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है।
1 अप्रैल से लागू हुए संशोधित शुल्क ढांचे के तहत घरेलू उपभोक्ताओं के लिए दो नई कैटेगरी बनाई गई हैं — श्रेणी-1 (2 किलोवाट लोड तक वाले उपभोक्ता) और श्रेणी-2 (5 किलोवाट लोड तक)। इस बदलाव में न्यूनतम मासिक शुल्क (MMC) को हटाकर पहली बार फिक्स चार्ज (तय शुल्क) लागू किया गया है, जिससे उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में 12 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सबसे अधिक असर उन उपभोक्ताओं पर पड़ा है, जिनका लोड 5 किलोवाट या उससे अधिक है।
बदलाव से कैसे प्रभावित हुए उपभोक्ता
पहले उपभोक्ता हर महीने 50 यूनिट या उससे अधिक की खपत पर 2.50 रुपये से 6.30 रुपये प्रति यूनिट तक का भुगतान करते थे। अब संशोधित दरों के अनुसार, यही उपभोक्ता 6.50 से 7.50 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली के लिए भुगतान कर रहे हैं।
बिजली वितरण कंपनियों ने इन बढ़ी हुई दरों का कारण वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अनुमानित ₹4520 करोड़ से अधिक के घाटे को बताया है।
आठ वर्षों में पहली बड़ी बढ़ोतरी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले आठ सालों में पहली बार बिजली दरों में 20 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि और फिक्स चार्ज की शुरुआत की गई है। राज्य के घरेलू उपभोक्ताओं में से करीब 78% लोग 2 किलोवाट तक के लोड में आते हैं, जबकि 16% उपभोक्ता 2 से 5 किलोवाट और केवल 6% उपभोक्ता 5 किलोवाट से अधिक लोड वाले हैं। इसलिए बड़ी संख्या में लोगों के बिलों में मामूली अंतर देखा गया है।
स्लैब संरचना में बदलाव
अब बिजली दरें तीन नई श्रेणियों में लागू की गई हैं:
- 151–250 यूनिट की सीमा को बढ़ाकर अब 151–300 यूनिट कर दिया गया है।
- 251–500 यूनिट को संशोधित कर 301–500 यूनिट कर दिया गया है।
- जबकि 501 यूनिट से ऊपर की खपत को नई स्लैब में शामिल किया गया है।
इनेलो ने किया विरोध प्रदर्शन
इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ पंचकूला स्थित शक्ति भवन के बाहर प्रदर्शन किया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल माजरा ने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले सस्ती बिजली देने का वादा करने वाली सरकार ने सत्ता में आते ही बिजली दरों में भारी वृद्धि कर दी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो विरोध और तेज किया जाएगा।
सरकार का पक्ष: अनिल विज की सफाई
इस मामले पर हरियाणा के बिजली मंत्री अनिल विज ने विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए कहा कि, “हमने कभी मुफ्त बिजली देने का वादा नहीं किया। विपक्ष केवल जनता को गुमराह कर रहा है।” उन्होंने कहा कि एक दशक बाद मामूली वृद्धि की गई है, जबकि इस अवधि में बिजली उत्पादन लागत सहित सभी संबंधित संसाधनों की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है।