प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) चंडीगढ़ ज़ोन की टीम ने 22 और 23 जून को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में तैनात सहायक दवा नियंत्रक निशांत सरीन, उनके परिजनों और सहयोगियों से जुड़े हरियाणा और पंजाब स्थित सात ठिकानों पर छापेमारी की। ये तलाशी अभियान भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग से जुड़े एक मामले में चलाया गया, जो निशांत सरीन की पूर्व में बद्दी में सहायक ड्रग कंट्रोलर के रूप में तैनाती के दौरान कथित अनियमितताओं से संबंधित है।
ईडी को छापेमारी के दौरान कई अहम दस्तावेज़ और डिजिटल उपकरण हाथ लगे हैं, जिनमें दवा लाइसेंस, कारण बताओ नोटिस, मंजूरी पत्र, संपत्ति से जुड़े दस्तावेज़, मोबाइल फोन, लैपटॉप और पेन ड्राइव शामिल हैं। कार्रवाई में 32 लाख रुपये मूल्य के दो वाहन, 40 से अधिक बैंक खाते और एफडीआर तथा तीन लॉकर भी जब्त या फ्रीज़ किए गए। साथ ही चंडीगढ़ स्थित उनके आवास से 60 से अधिक अवैध शराब की बोतलें भी बरामद की गईं।
संदिग्ध लेन-देन और धमकी की भी जांच
ईडी ने बताया कि वर्तमान में धर्मशाला में एडीसी पद पर कार्यरत निशांत सरीन के खिलाफ जबरन वसूली की भी शिकायतें मिली हैं। इसके अलावा, सरीन के परिवार और फार्मा कंपनियों के बीच संदिग्ध वित्तीय लेन-देन की भी जांच की जा रही है।
क्या है मामला?
हिमाचल प्रदेश राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (SV&ACB) द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 11 के तहत निशांत सरीन के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद पीएमएलए (PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू की। इस मामले में सरीन और उनकी सहयोगी कोमल खन्ना को गिरफ्तार भी किया गया था, जिनके खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है। जमानत पर रिहा होने के बाद सरीन को सितंबर 2024 में धर्मशाला में एडीसी नियुक्त किया गया।
जालसाजी और दबाव बनाने के आरोप
हरियाणा पुलिस ने वर्ष 2022 में भी निशांत सरीन और अन्य के खिलाफ एक अन्य एफआईआर दर्ज की थी, जो पंचकूला स्थित झेनिया फार्मास्यूटिकल्स की साझेदारी विलेख में कथित फर्जीवाड़े से संबंधित थी। इसमें कोमल खन्ना की हिस्सेदारी 50% से बढ़ाकर 95% कर दी गई थी। इस पूरे मामले में सरीन के पद का प्रभाव इस्तेमाल किए जाने का भी आरोप है।