जम्मू-कश्मीर आपदा प्रबंधन और पुनर्वास विभाग ने नियंत्रण रेखा के पास हो रही पाकिस्तानी गोलीबारी को “राज्य आपदा” के रूप में मान्यता दे दी है। इसके चलते अब युद्ध जैसी स्थिति में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों और घायलों को राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) से वित्तीय सहायता दी जाएगी।
नई व्यवस्था के तहत, गोलाबारी में मारे गए लोगों के परिवारों को चार लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। गंभीर रूप से घायल (60% से अधिक) व्यक्तियों को ढाई लाख, मध्यम रूप से घायल (40% से 60%) को 75 हजार और हल्के रूप से घायल (40% से कम) लोगों को 16 हजार रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी।
राजस्व विभाग इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगा और मृतकों व घायलों का आकलन करके संबंधित जिलों के उपायुक्तों को रिपोर्ट सौंपेगा। अस्पतालों से घायलों का रिकॉर्ड एकत्र किया जा रहा है, जिसके आधार पर राहत राशि जारी की जाएगी। जम्मू-कश्मीर में यह पहली बार है जब गोलीबारी को प्राकृतिक आपदा के समकक्ष मानते हुए राहत दी जा रही है।
संपत्ति के नुकसान पर भी मिलेगा मुआवजा
गोलाबारी के कारण मकानों और अन्य संपत्तियों को पहुंचे नुकसान पर भी मुआवजा दिया जाएगा। पक्के मकान को नुकसान होने पर 1.20 लाख रुपये, कच्चे मकान के लिए 65 हजार रुपये और पशुशाला गिरने पर 3 हजार रुपये की सहायता मिलेगी। जिन क्षेत्रों में नुकसान का आकलन हो चुका है, वहां मुआवजा वितरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
आपदा की श्रेणी में युद्ध जैसे हालात भी शामिल
आपदा प्रबंधन विभाग के वार रूम प्रमुख मुश्ताक अहमद ने बताया कि अब राज्य में युद्ध जैसी स्थिति को भी आपदा श्रेणी में रखा गया है। इसके तहत एसडीआरएफ से प्रभावित परिवारों को सहायता मिलेगी और संबंधित जिलों के उपायुक्तों को यह राशि समय पर वितरित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पहले केवल प्राकृतिक आपदाओं को मिलती थी मदद
अब तक राज्य में केवल भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, सड़क दुर्घटनाएं, बिजली गिरना या सांप के काटने जैसे प्राकृतिक हादसों को ही आपदा मानकर सहायता दी जाती थी। लेकिन अब युद्ध जैसी स्थितियों में भी एसडीआरएफ के तहत प्रभावितों को राहत दी जा सकेगी।