भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाई के बाद से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर समेत पूरी पाक सेना में खलबली मची हुई है। बौखलाहट में पाकिस्तान ने बॉर्डर पर लगातार गोलीबारी शुरू कर दी है। सुरक्षा कारणों से सीमा से सटे गांवों को खाली कराया जा रहा है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि वे गोलीबारी से डरने वाले नहीं हैं। बॉर्डर पर रहने वाले लोग कई युद्ध देख चुके हैं और डटकर मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।
बॉर्डर पर डटे लोग
सियालकोट से सटे भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तानी गोलीबारी के बावजूद लोग अपने स्थान पर मजबूती से टिके हुए हैं। सांबा सेक्टर के नांगा गांव के सरपंच मनजीत सिंह ने कहा, “हम बॉर्डर के निवासी हैं। हमने पहले भी कई जंगें देखी हैं। डरना हमारे खून में नहीं है।” गांव की महिलाओं ने कहा कि वे कुछ दिनों के लिए स्कूल में रह रही हैं, क्योंकि यह सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है। उन्होंने साफ कहा कि वे डर के कारण नहीं बल्कि एहतियात के तौर पर वहां जा रही हैं।
लोगों की प्रतिक्रिया
गोलीबारी की स्थिति को देखते हुए बॉर्डर से लगे गांवों को एहतियातन खाली कराया जा रहा है। सरकार ने लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था की है। बस में बैठी महिलाओं ने बताया कि वे शहर के स्कूलों में ठहरने जा रही हैं। उनका कहना है कि गांव खाली करना देश और सेना के समर्थन में एक आवश्यक कदम है, ताकि सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
रातभर जारी रहती है गोलीबारी
गांव के निवासी अमरीक सिंह ने बताया कि रात में करीब दस बजे से गोलीबारी शुरू हो जाती है, जो देर रात तक जारी रहती है। कई बार गोलीबारी सुबह तक भी चलती रहती है। इस स्थिति में लोग बंकरों में शरण लेते हैं। सरकार द्वारा बनाए गए बंकरों के अलावा ग्रामीणों ने भी अपने स्तर पर बंकर तैयार किए हैं। अमरीक सिंह ने कहा कि सुरक्षा के लिए सरकार के बनाए बंकरों में जाकर हम अपनी जान बचाने की कोशिश करते हैं।