भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को कांग्रेस पार्टी पर तीखा प्रहार करते हुए उसे संविधान का अपमान करने वाली पार्टी करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के ज़रिए 2005 में सोनिया गांधी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात से जुड़ी घटनाओं का हवाला देते हुए कांग्रेस पर गंभीर सवाल उठाए।
दुबे ने दावा किया कि उस समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह होने के बावजूद विदेश नीति से जुड़े फैसले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा लिए जा रहे थे। उन्होंने सवाल उठाया कि संविधान के किस प्रावधान के तहत सोनिया गांधी को अंतरराष्ट्रीय रक्षा समझौतों पर वार्ता करने का अधिकार मिला।
पाकिस्तानी आतंकवादियों को लेकर उठाए सवाल
अपने पोस्ट में निशिकांत दुबे ने यह भी कहा कि सोनिया गांधी ने पुतिन से बातचीत के दौरान उन 12 भारतीय स्कूली बच्चों का मुद्दा उठाया था जिन्हें आतंकवादियों ने अगवा किया था। दुबे ने पूछा कि इस तरह की घटनाओं पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया क्या थी? उन्होंने दावा किया कि इसके बजाय हजारों आतंकियों को जेलों से छोड़ा गया।
आपातकाल और संविधान संशोधन को लेकर भी साधा निशाना
भाजपा सांसद ने एक अन्य पोस्ट में आपातकाल का मुद्दा उठाते हुए इंदिरा गांधी द्वारा किए गए 42वें संविधान संशोधन को संविधान की आत्मा पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान सभा में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को प्रस्तावना में शामिल करने का विरोध किया था, जिसे उस समय के तमाम नेताओं ने समर्थन दिया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने समय-समय पर संविधान की भावना के विपरीत कार्य किए और उसे अपने राजनीतिक हितों के लिए बदला।
राजीव गांधी के पत्र पर उठाए सवाल
निशिकांत दुबे ने इससे पहले 27 जून को भी कांग्रेस पर हमला करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन को लिखे एक पत्र का जिक्र किया था। उन्होंने दावा किया कि उस पत्र में भारत की विदेश नीति को विदेशी दबाव में बताया गया है और तमिलों पर श्रीलंका में हो रहे अत्याचारों में भारत की भूमिका को स्पष्ट किया गया है।
दुबे ने यह भी पूछा कि राजीव गांधी ने भारत की रक्षा तैयारियों के बारे में अमेरिका को सूचित क्यों किया और भारतीय नौसेना के जहाजों को किराए पर लेने का विकल्प क्यों चुना गया। उन्होंने इस पत्र को भारत की स्वायत्तता पर सवाल उठाने वाला बताया।