मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसने लोगों को चौंका दिया है। पहले यहां नहर चोरी का विवाद हुआ था, और अब नाली चोरी का मामला भी प्रकाश में आया है। नगर निगम के वार्ड नंबर 36, जयनगर में कथित तौर पर नाली का निर्माण केवल कागजों तक सीमित रहा, जबकि नगर निगम ने ठेकेदार को करीब 18 लाख 72 हजार रुपये का भुगतान कर दिया। इस नकली नाली की अनुमानित लागत करीब 16 लाख 35 हजार रुपये बताई गई है।
यह धोखाधड़ी तब उजागर हुई जब स्थानीय लोगों ने पाया कि उनके घर के सामने स्वीकृत नाली का कोई वास्तविक निर्माण नहीं हुआ था। दस्तावेजों में तो 400 मीटर लंबी नाली दर्ज थी, लेकिन जमीन पर उसकी कोई मौजूदगी नहीं थी। 4 अगस्त 2023 को इस नाली के निर्माण के लिए निविदा निकाली गई और ठेका ‘महाकाल ब्रदर्स जयनगर’ नामक कंपनी को मिला। एक कनिष्ठ अभियंता ने कथित निर्माण कार्य का रिकॉर्ड भी बनाया और नगर निगम के कर्मचारियों ने उस जगह की फोटो भी खींची, जहां नाली बननी थी। इसके बाद 4 मार्च 2024 को ठेकेदार को पूरा भुगतान कर दिया गया।
हमारी टीम ने जब वार्ड 36 के जयनगर इलाके का दौरा किया, तो स्थानीय निवासी रामदयाल पांडेय ने बताया कि उस जगह पर 2017 में एनटीपीसी द्वारा नाली का निर्माण किया जा चुका है। इसका मतलब है कि ठेकेदार और नगर निगम के अधिकारियों ने केवल कागजों में ही नाली बनाकर भुगतान हड़प लिया।
नगर निगम आयुक्त डीके शर्मा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए खुद मौके का निरीक्षण किया और पाया कि वहां कोई नाली नहीं बनी है। उन्होंने कहा कि मामले की गंभीर जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने इस धोखाधड़ी की शिकायत ईओडब्ल्यू के एसपी से की है।
यह मामला इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि आमतौर पर चोरी घर, दुकान या वाहन तक सीमित होती है, लेकिन सिंगरौली में तो पूरी नाली ही दस्तावेजों से गायब हो गई। इस घटना ने नगर निगम की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार के स्तर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोग कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।