मध्य प्रदेश के जबलपुर में नकली नोटों के कारोबार से जुड़े एक गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। गिरोह अपने घर में ही नकली नोटों की छपाई करता था और उन्हें आसपास के जिलों में खपाता था। कार्रवाई के दौरान पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया और उनके कब्जे से कुल 18 लाख रुपये मूल्य के नकली नोट बरामद किए हैं। गिरोह का सरगना बीबीए स्नातक बताया गया है।
मुखबिर की सूचना से मिली सफलता
नगर पुलिस अधीक्षक सुनील नेमा ने बताया कि 16 जून को थाना प्रभारी धीरज राज को सूचना मिली थी कि एक युवक कब्रिस्तान के पास नकली नोटों के साथ मौजूद है। इस पर मंडी मदार टेकरी क्षेत्र में दबिश देकर रवि दहिया नाम के युवक को 2.94 लाख रुपये की नकली करेंसी के साथ गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में रवि ने एक संगठित गिरोह की जानकारी दी।
मुख्य आरोपी के ठिकाने से छपाई का सामान जब्त
रवि की सूचना पर पुलिस ने 17 जून को अधारताल के यशवंत नगर में किराए पर रह रहे गिरोह के सरगना ऋतुराज विश्वकर्मा को पकड़ा। उसके आवास से पुलिस ने नकली नोट छापने में इस्तेमाल होने वाले उपकरण—कलर प्रिंटर, लैपटॉप, प्रिंटिंग पेपर, रंग और कटर आदि बरामद किए। पुलिस के अनुसार, आरोपी पिछले 8 से 9 महीनों से यह कार्य कर रहा था।
गिरोह में कई जिले के लोग शामिल
मुख्य आरोपी ऋतुराज विश्वकर्मा नरसिंहपुर जिले के कमती इमलिया का निवासी है और बीबीए तक शिक्षित है। उसके साथ पकड़े गए अन्य आरोपियों में जबलपुर के धीरज मनवानी (20), गौरव तिवारी (44), मंडला के संतोष श्रीवास्तव (55), अजय नवेरिया (42) और शाहपुरा के सत्यम पटेल शामिल हैं। गिरोह असली नोटों के बदले 1:3 के अनुपात में नकली नोट देता था।
12.5 लाख की नकली करेंसी के बदले लिए 4 लाख असली
पुलिस जांच में सामने आया कि संतोष श्रीवास्तव और अजय नवेरिया को 12.5 लाख के नकली नोट देकर गिरोह ने बदले में 4 लाख रुपये की असली करेंसी प्राप्त की थी। अजय नवेरिया के पास से 9 लाख और जमना प्रसाद पटेल के पास से 3 लाख की नकली करेंसी जब्त की गई है।
तकनीकी सहायता से छपते थे नोट
पुलिस के अनुसार, आरोपी ‘पेंट ऐप’ और ‘विकिपीडिया’ की मदद से लैपटॉप में नोटों की डिजाइन तैयार करता था और फिर कलर प्रिंटर से नोट छापता था। ये नोट जबलपुर, नरसिंहपुर और मंडला सहित कई जिलों में वितरित किए जाते थे।
फर्जी करेंसी पर और गहराई से होगी जांच
सीएसपी सुनील नेमा ने बताया कि पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि यह गिरोह कितने समय से सक्रिय है और किन-किन इलाकों में नकली नोट सप्लाई किए गए हैं। आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए पेपर और तकनीक इतने सटीक थे कि नोट असली जैसे प्रतीत होते थे।