मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्ला खान की संपत्ति उत्तराधिकार विवाद में ट्रायल कोर्ट द्वारा वर्ष 2000 में सुनाए गए निर्णय को निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले की पुनः सुनवाई की जाए और आगामी एक वर्ष के भीतर अंतिम फैसला सुनाया जाए।
यह अपील नवाब हमीदुल्ला खान के बड़े भाई के वंशजों – बेगम सुरैया, कमरताज राबिया सुल्तान और अन्य की ओर से दायर की गई थी। इस संपत्ति विवाद में पूर्व क्रिकेटर नवाब मंसूर अली खान पटौदी, अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और उनके बच्चे – सैफ अली खान, सबा सुल्तान और सोहा अली खान – को भी पक्षकार बनाया गया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार बंटवारे की मांग
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से आग्रह किया कि संपत्तियों का विभाजन मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रावधानों के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने यह आपत्ति जताई कि ट्रायल कोर्ट ने नवाब की निजी संपत्तियों को राजसिंहासन से जुड़ी संपत्ति मानते हुए, स्वतः ही सिंहासन के उत्तराधिकारी को सौंपे जाने योग्य ठहरा दिया था, जो कि उचित नहीं है।
“उत्तराधिकार कानून के अनुरूप होगा बंटवारा” – हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि निजी संपत्तियां राजसिंहासन से नहीं जुड़ी हैं, और उनका उत्तराधिकार संविधान व संबंधित व्यक्तिगत कानूनों के अनुरूप ही तय होगा। अदालत ने ट्रायल कोर्ट द्वारा की गई कार्यवाही में कई महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी की बात कही और इसके लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक पुराने फैसले को आधार बनाया।
ट्रायल कोर्ट को नया आदेश
हाईकोर्ट ने सीपीसी के आदेश 14 नियम 23A का हवाला देते हुए ट्रायल कोर्ट को निर्देशित किया है कि मामले की दोबारा सुनवाई कर, सभी पक्षों के तर्कों व कानूनी आधारों को ध्यान में रखते हुए, एक वर्ष के भीतर निर्णय सुनाया जाए।
यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें भोपाल रियासत की विरासत से जुड़े कई चर्चित नाम और हस्तियां शामिल हैं।