भाषा पर राजनीति न करें, संभाजी महाराज ने भी सीखी थीं 16 भाषाएं: संजय गायकवाड़

महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर बढ़ते राजनीतिक विवाद के बीच शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने छत्रपति संभाजी महाराज का उदाहरण देते हुए कहा कि जब उन्होंने 16 भाषाएं सीखी थीं, तो क्या वे भी नासमझ थे?

गौरतलब है कि राज्य के स्कूलों में हिंदी भाषा और त्रिभाषा नीति को लेकर लगातार विरोध हो रहा है। हाल ही में मुंबई में उद्धव और राज ठाकरे की एक संयुक्त रैली हुई थी, जिसमें दोनों नेताओं ने केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और तीन भाषा नीति के विरोध में दो शासकीय निर्णयों को रद्द कराने को अपनी सफलता बताया।

मराठी के समर्थन में एक मंच पर ठाकरे बंधु
संयुक्त रैली में दोनों नेताओं ने राज्य और केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में हिंदी थोपने और मराठी को हाशिए पर लाने की कोशिश की जा रही है। राज ठाकरे ने सवाल उठाया कि तीन भाषा का फार्मूला आखिर आया कहां से? उन्होंने कहा कि इसका स्रोत सिर्फ केंद्र सरकार है और इसका विरोध जारी रहेगा।

गायकवाड़ का पलटवार: भाषाएं सीखना ज्ञान का प्रतीक
संजय गायकवाड़ ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि छत्रपति संभाजी महाराज जैसे शासकों ने 16 भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया था। उन्होंने कहा कि ताराबाई और जीजाबाई जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व भी अनेक भाषाओं में निपुण थीं। क्या उन्हें भी कोई नासमझ कहेगा? विधायक ने स्पष्ट किया कि जितनी अधिक भाषाएं सीखी जाएं, उतना ही बेहतर है।

उन्होंने आगे कहा कि यदि हमें आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटना है तो उर्दू जैसी भाषाओं का ज्ञान भी जरूरी है। गायकवाड़ ने यह भी कहा कि संभाजी महाराज संस्कृत, मराठी और हिंदुस्तानी समेत कई भाषाओं में प्रवीण थे और उनकी रचनाएं आज भी विद्वानों के लिए प्रेरणा हैं।

‘भाषा के नाम पर राजनीति अनुचित’
विधायक ने कहा कि भाषाओं को सीखना हमारी बौद्धिक समृद्धि का प्रतीक है, इसे किसी एक भाषा के विरोध या समर्थन का मुद्दा बनाना उचित नहीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाषा के सवाल पर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करना समाज के हित में नहीं है।

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