फडणवीस का दो टूक: मराठी पर अभिमान ठीक, लेकिन भाषा के नाम पर हिंसा नहीं चलेगी

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को स्पष्ट कहा कि राज्य को मराठी भाषा पर गर्व होना स्वाभाविक है, लेकिन किसी को भाषा के नाम पर गुंडागर्दी करने की छूट नहीं दी जा सकती। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई भाषा के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ मारपीट करता है, तो उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

‘भाषा पर गर्व, पर अन्याय नहीं’: फडणवीस

फडणवीस का यह बयान उस घटना के संदर्भ में आया है, जिसमें महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा एक गुजराती व्यक्ति को मराठी नहीं बोलने पर पीटने का आरोप लगा है। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है और कानूनी कार्रवाई जारी है।

‘हिंदी पर आपत्ति, अंग्रेजी को स्वीकार – यह कैसी सोच?’

फडणवीस ने सवाल उठाया कि कुछ लोग अंग्रेजी को सहजता से अपना लेते हैं, लेकिन हिंदी को लेकर विवाद खड़ा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह दोहरे मापदंड का उदाहरण है और ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

‘मराठी पर अभिमान, लेकिन जबरदस्ती नहीं’

उन्होंने कहा कि यदि कोई मराठी व्यक्ति असम में व्यवसाय करता है और उसे स्थानीय भाषा नहीं आती, तो क्या यह उचित होगा कि उसे मारा जाए? उन्होंने सुझाव दिया कि मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता, शिक्षा और संवाद का रास्ता अपनाया जाए, न कि हिंसा और दबाव का। “हम अनुरोध कर सकते हैं कि लोग मराठी बोलें, पर इसे थोप नहीं सकते,” उन्होंने कहा।

‘जय महाराष्ट्र-जय कर्नाटक कहने पर भी उठे थे सवाल’

शरद पवार का नाम लेते हुए फडणवीस ने याद दिलाया कि एक समारोह में उन्होंने ‘जय महाराष्ट्र-जय कर्नाटक’ कहा था। उन्होंने सवाल किया कि क्या इसका यह अर्थ निकाला जाए कि उन्हें कर्नाटक प्रिय है और महाराष्ट्र नहीं? इसी तर्ज पर अगर कोई ‘जय गुजरात’ कह दे तो उसे विवाद का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।

‘सभी भारतीय हैं, पड़ोसी राज्यों से द्वेष नहीं’

फडणवीस ने कहा कि भारत एक संयुक्त राष्ट्र है और हमें अपने राज्य पर गर्व के साथ-साथ अन्य राज्यों के प्रति भी सम्मान बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जैसे शत्रु देश के प्रति आलोचना समझ में आती है, लेकिन पड़ोसी राज्यों के लिए घृणा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के ‘जय गुजरात’ कहने पर सवाल उठाना एक संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है।

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