पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के मुद्दे पर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे पर सोमवार को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें बीबीएमबी के पुनर्गठन और हरियाणा को अतिरिक्त पानी न दिए जाने के संबंध में 6 प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए। राज्य के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने इस सत्र के दौरान भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त 8,500 क्यूसेक पानी देने के फैसले का कड़ा विरोध किया।
गोयल ने कहा कि हरियाणा को अतिरिक्त पानी की एक भी बूंद नहीं दी जाएगी। उन्होंने बीबीएमबी पर बीजेपी का हथकंडा अपनाने और असंवैधानिक तरीके से पंजाब के जल अधिकारों को कमजोर करने की साजिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब ने मानवीय आधार पर हरियाणा को 4,000 क्यूसेक पानी दिया है, लेकिन अपने हिस्से से कोई अतिरिक्त पानी नहीं छोड़ा जाएगा।
इन प्रस्तावों पर हुई सहमति:
- पंजाब अपने हिस्से का पानी हरियाणा को नहीं देगा, और मानवीय आधार पर 4,000 क्यूसेक पानी की आपूर्ति जारी रखी जाएगी।
- भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) केंद्र सरकार की कठपुतली बनकर काम कर रहा है, और उसकी मीटिंग्स में पंजाब की बातों का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा। बोर्ड का पुनर्गठन किया जाए।
- सतलुज, ब्यास और रावी नदियां सिर्फ पंजाब से ही बहती हैं। 1981 में हुए जल समझौते में जो पानी था, अब वह उपलब्ध नहीं है। इसलिए इन नदियों के पानी के बंटवारे के लिए नई संधि बनाई जाए।
- BBMB के मीटिंग्स को लेकर नियम तय हैं, लेकिन बोर्ड इनका पालन नहीं कर रहा है। नियमों का उल्लंघन कर रातोंरात मीटिंग्स बुलाई जा रही हैं। सदन ने निर्देश दिया कि BBMB को नियमों का पालन करना चाहिए।
- भाखड़ा डैम से पानी के वितरण को लेकर 1981 की जल संधि में जो प्रावधान हैं, उन्हें बदलने का BBMB को कोई अधिकार नहीं है। अगर BBMB कोई नया फैसला लेता है, तो यह असंवैधानिक होगा।
- डैम सेफ्टी एक्ट-2021 को केंद्र सरकार वापस ले, क्योंकि यह कानून राज्यों के बांधों और नदियों पर केंद्र सरकार को पूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है, जबकि बांध राज्य की सीमा में होते हैं। पंजाब सरकार इस एक्ट को स्वीकार नहीं करती।
विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आप सरकार ने पंजाब के हर खेत तक नहर का पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। नहरों और जलमार्गों का विशाल नेटवर्क तैयार किया गया है। 2021 तक केवल 22% खेतों को नहर का पानी मिलता था, अब यह 60% तक पहुंच चुका है। यही कारण है कि पंजाब का हर एक बूंद पानी कीमती हो गया है, और अब वह किसी दूसरे राज्य को अतिरिक्त पानी देने की स्थिति में नहीं है।