पंजाब में जल संरक्षण को नई दिशा, मुख्यमंत्री ने 14 सूत्रीय कार्य योजना को दी मंजूरी

पंजाब के इतिहास में पहली बार, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने जल संरक्षण और गिरते भूजल स्तर की समस्या से निपटने के लिए एकीकृत प्रांतीय जल योजना के अंतर्गत 14 बिंदुओं वाली कार्य योजना को स्वीकृति प्रदान की है। जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने बताया कि यह योजना विभिन्न विभागों से परामर्श के बाद व्यापक रणनीति के तहत तैयार की गई है।

मुख्यमंत्री ने राज्य में गंभीर जल संकट पर चिंता जताते हुए बताया कि पंजाब के कुल 153 विकासखंडों में से 115 ब्लॉक ऐसे हैं जहां अत्यधिक मात्रा में भूजल निकाला जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य हर वर्ष लगभग 5.2 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल निकालता है, जिससे जल स्तर औसतन 0.7 मीटर प्रति वर्ष की दर से गिर रहा है।

सिंचाई तकनीकों में सुधार और सतही जल पर जोर

मुख्यमंत्री मान ने कहा कि जल संकट से उबरने के लिए खेती में भूजल की खपत कम करनी होगी और इसके लिए माइक्रो सिंचाई विधियों जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा। योजना के अंतर्गत करीब 15.8 लाख हेक्टेयर भूमि को पारंपरिक सिंचाई प्रणाली से हटाकर जल-संरक्षण आधारित प्रणालियों के दायरे में लाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में कार्यकारी हेड मौजूद हैं, वहां खुले नहरों के स्थान पर पाइपलाइन नेटवर्क की स्थापना को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, उन क्षेत्रों को अलग-अलग जल बेसिन के रूप में चिन्हित कर क्षेत्रवार योजनाएं लागू की जाएंगी, जिससे स्थानीय भूगोल और जलवायु के अनुसार समाधान सुनिश्चित किया जा सके।

सतही जल नेटवर्क का पुनर्जीवन

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि राज्य सरकार पहले ही बंद पड़ी जल वितरण प्रणालियों को पुनर्जीवित करने में जुटी है। लगभग 63,000 किलोमीटर की बंद पड़ी राजवाहों की सफाई और मरम्मत पूरी की जा चुकी है, साथ ही 545 किलोमीटर लंबी 79 नहरों को भी फिर से चालू किया गया है।

कंडी और दक्षिण-पश्चिम पंजाब की अलग चुनौतियाँ

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के अलग-अलग हिस्सों की जल समस्याएं अलग हैं — जैसे दक्षिण-पश्चिम पंजाब में बाढ़ की समस्या है, जबकि कंडी क्षेत्र में जल स्तर बहुत गहरा है। ऐसे में पूरे राज्य के लिए एक समान नीति न बनाकर बेसिन स्तर पर योजनाएं तैयार की जाएंगी ताकि जल प्रवाह, मृदा कटाव और स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जा सके।

जागरूकता और सहभागी मॉडल पर जोर

मुख्यमंत्री मान ने बताया कि जल संरक्षण की दिशा में युवाओं, किसानों, स्वयंसेवी संगठनों, औद्योगिक इकाइयों और आम जनता की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा एवं जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे। इन अभियानों में सोशल मीडिया, स्कूल-स्तरीय गतिविधियां और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को शामिल किया जाएगा।

बुनियादी ढांचे और पुनर्भरण योजनाओं को बढ़ावा

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कम मांग वाले समय में नहरों के टेल हिस्सों पर भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक ढांचागत सुविधाएं जैसे वितरक, माइनर और सब-माइनर तैयार किए जाएं। साथ ही, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, जल संरक्षण से जुड़ी संरचनाएं और सूक्ष्म सिंचाई तंत्र को भी इस योजना के तहत प्राथमिकता दी जाएगी।

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