भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के जिलों—बहराइच, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर—में सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत अब तक 500 से अधिक मदरसे बंद किए जा चुके हैं, जबकि लगभग 60 मस्जिदें, ईदगाहें और अन्य धार्मिक स्थल प्रशासनिक बुलडोजर कार्रवाई में ढहा दिए गए हैं। उन्होंने इसे कानून की अवहेलना बताते हुए कहा कि इन कार्रवाइयों में वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया।
यह जानकारी उन्होंने मंगलवार को लखनऊ के हजरतगंज स्थित कॉफी हाउस में एक प्रेस वार्ता के दौरान दी। उन्होंने बताया कि भाकपा माले और इंसाफ मंच की संयुक्त जांच टीम ने 20 से 22 जून तक बहराइच, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर का दौरा किया था। टीम में भाकपा माले के राज्य स्थायी समिति सदस्य राजेश साहनी, राज्य समिति सदस्य राम लौट, तथा गोंडा जिला प्रभारी जमाल खान भी शामिल थे।
1991 उपासना स्थल अधिनियम के उल्लंघन का आरोप
सुधाकर यादव और इंसाफ मंच के प्रदेश संयोजक अफरोज आलम ने कहा कि धार्मिक स्थलों को हटाने की कार्रवाई संसद से पारित 1991 के उपासना स्थल अधिनियम का उल्लंघन है, जिसके अनुसार 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में रहे उपासना स्थलों की यथास्थिति बनाए रखना अनिवार्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि बहराइच में ऐतिहासिक सैयद हाशिम अली शाह उर्फ लक्कड़ शाह दरगाह सहित कई स्थलों को नोटिस दिए बिना या उसी दिन की नोटिस पर तोड़ा गया।
प्रशासनिक भूमिका पर सवाल
सुधाकर यादव ने बहराइच के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे स्वयं मदरसों का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई हो रही है, वहीं दूसरी ओर ऐतिहासिक स्थलों को नफरत की राजनीति का केंद्र बनाया जा रहा है।
अभियान रोकने और प्रदर्शन की चेतावनी
उन्होंने मांग की कि जिला अल्पसंख्यक अधिकारी को तत्काल पद से हटाया जाए और धार्मिक स्थलों पर चल रही कार्रवाई को रोका जाए। साथ ही उन्होंने घोषणा की कि इन मुद्दों के खिलाफ भाकपा माले 30 जून को लखनऊ में सार्वजनिक प्रदर्शन आयोजित करेगी।
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