आगरा। जिला पंचायत की सोमवार को बालूगंज कार्यालय में हुई बोर्ड बैठक में फतेहाबाद कस्बे का नाम बदलकर “सिंदूरपुरम” और वहां स्थित ऐतिहासिक “बादशाही बाग” का नाम बदलकर “ब्रह्माबाग” रखने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। बताया गया कि “सिंदूरपुरम” नाम ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की स्मृति में और “ब्रह्माबाग” का नाम ब्रह्मोस मिसाइल व ब्रह्मा जी के नाम से प्रेरित होकर प्रस्तावित किया गया है।
बैठक की अध्यक्षता जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया ने की। इस दौरान ताज महोत्सव की तर्ज पर बटेश्वर मेले के आयोजन, 300 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले भवनों में वर्षा जल संचयन प्रणाली अनिवार्य किए जाने जैसे कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुए। विकास कार्यों पर भी गहन चर्चा की गई। मुख्य विकास अधिकारी प्रतिभा सिंह सहित जिला व क्षेत्र पंचायत के सदस्य बैठक में उपस्थित रहे।
महापुरुषों के नाम पर बनेंगे पार्क
डॉ. मंजू भदौरिया ने जानकारी दी कि वर्ष 2025-26 में जिला पंचायत की ओर से विभिन्न स्थानों पर चिल्ड्रेन पार्क और क्रीड़ास्थलों का निर्माण कराया जाएगा। ये स्थान गांवों में बच्चों के खेलकूद और सामुदायिक आयोजनों के लिए उपयोगी होंगे। इन पार्कों के नाम राष्ट्र-निर्माण में योगदान देने वाले महापुरुषों जैसे—महारानी अहिल्याबाई, महर्षि परशुराम, राणा सांगा, छत्रपति शिवाजी, महाराजा सूरजमल, डॉ. आंबेडकर, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, पृथ्वीराज चौहान, महाराजा अग्रसेन, निषादराज गुहा, स्वामी विवेकानंद, महाराज मिहिरभोज, कर्पूरी ठाकुर, झलकारी बाई और लक्खीशाह बंजारा के नाम पर रखे जाएंगे। कई स्थानों पर इन विभूतियों की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएंगी।
अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
- व्यवसायिक भवनों के नक्शे पास कराने के लिए वर्षा जल संचयन अनिवार्य किया जाएगा।
- हरियाली बढ़ाने के लिए स्कूलों, सरकारी व निजी भवनों तथा खेतों में व्यापक पौधारोपण अभियान चलाया जाएगा।
- खारे पानी की समस्या से राहत दिलाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में आरओ प्लांट लगाए जाएंगे।
- बड़ौदरा खुर्द की तर्ज पर जैतपुर कलां व मेवलीकलां में भी मिनी स्टेडियम बनाए जाएंगे।
- पट्टी शेखूपुर में महर्षि परशुराम विश्राम स्थल विकसित किया जाएगा।
- आर्थिक रूप से कमजोर व अनुसूचित वर्ग की महिलाओं को प्रोत्साहित करने हेतु स्वयं सहायता समूहों के लिए दुकानें बनाई जाएंगी।
इतिहास से जुड़ी पृष्ठभूमि
बताया गया कि 1658 में औरंगजेब ने सामूगढ़ युद्ध में अपने भाई दाराशिकोह को हराने के बाद इस क्षेत्र का नाम फतेहाबाद रखा था। डॉ. भदौरिया के अनुसार, अब ऐसे नाम जो गुलामी या विदेशी शासन के प्रतीक हैं, उन्हें हटाकर सांस्कृतिक व राष्ट्रीय गौरव से जुड़े नाम दिए जा रहे हैं।