उत्तर प्रदेश के बरेली के बारादरी थाना क्षेत्र में इस बार मोहर्रम का जुलूस पूरी तरह सौहार्द और आपसी मेलजोल के माहौल में संपन्न हुआ। जुलूस जोगी नवादा से निकलकर मौर्य वाली गली से गुजरा — वही गली, जहां 2022, 2023 और 2024 में साम्प्रदायिक तनाव की घटनाएं सामने आई थीं। लेकिन इस बार नज़ारा पूरी तरह बदला हुआ था।
एक-दूसरे पर बरसाए फूल, पहनाई मालाएं
जुलूस के दौरान हिंदू समाज के लोगों ने मुस्लिम समुदाय का स्वागत करते हुए ताजिए पर फूल बरसाए। दोनों समुदायों के लोग एक-दूसरे से गले मिले और मालाएं पहनाकर एकता का संदेश दिया। लोगों ने यह भी कहा कि अब आपसी मनमुटाव समाप्त हो चुका है और वे मिल-जुलकर सभी पर्व मनाएंगे।
18 संवाद बैठकों के बाद बनी सहमति
बीते वर्षों के अनुभव को देखते हुए इस बार जिला प्रशासन ने पहले से ही व्यापक रणनीति अपनाई थी। बारादरी थाना क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। पुलिस बल के अलावा RAF को तैनात किया गया, छतों पर जवान मुस्तैद थे और पूरे जुलूस की निगरानी ड्रोन से की गई।
एसपी सिटी मानुष पारीक और सीओ सिटी पंकज श्रीवास्तव ने खुद क्षेत्र में फ्लैग मार्च किया। अधिकारियों ने बताया कि दोनों समुदायों के साथ कुल 18 बैठकें आयोजित की गईं, जिनमें आपसी मतभेदों को बातचीत से सुलझाया गया। नतीजतन, दोनों पक्षों ने शांतिपूर्ण जुलूस निकालने पर सहमति जताई।
अब कांवड़ यात्रा पर भी सौहार्द की छाया
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने स्पष्ट किया कि जैसे हिंदू समाज ने मोहर्रम पर सौहार्द दिखाया, वैसे ही वे कांवड़ यात्रा के दौरान उसी भावना से स्वागत करेंगे। पहले नूरी मस्जिद के पास से यात्रा निकालने पर विवाद होता था, लेकिन अब दोनों पक्षों के बीच सहमति बन चुकी है। मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस बार वे स्वयं यात्रा पर पुष्पवर्षा करेंगे।
प्रशासन की सूझबूझ और जनता की समझदारी से नई शुरुआत
इस साल बरेली में भाईचारे की नई मिसाल कायम हुई है। जहां पहले टकराव की खबरें आती थीं, वहीं अब मेल-मिलाप और शांति का वातावरण बना है। एसपी सिटी मानुष पारीक ने इसे प्रशासन और समाज दोनों की बड़ी उपलब्धि बताया।
मौके पर दोनों समुदायों के लोगों का एक-दूसरे से गले मिलना इस बात का प्रमाण था कि संवाद, सहयोग और समझदारी से हर टकराव को सौहार्द में बदला जा सकता है।