उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण, मनमाने तबादलों और विभागीय कार्रवाइयों के खिलाफ बिजली कर्मियों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। कर्मचारी संगठनों ने पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर उत्पीड़न और भेदभाव का आरोप लगाते हुए दो जुलाई को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है।
विजिलेंस रिपोर्ट और तबादलों से नाराजगी
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में शनिवार को कई जिलों और परियोजनाओं में विरोध प्रदर्शन किए गए। प्रदर्शनकारियों ने अभियंताओं के खिलाफ विजिलेंस में रिपोर्ट दर्ज कराने को अनुचित बताया और कहा कि प्रबंधन जानबूझकर कर्मचारियों को डराने का प्रयास कर रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि वर्तमान हालात आपातकाल जैसे बनते जा रहे हैं।
प्रबंधन और शासन पर मिलीभगत के आरोप
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की बैठक में पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन और सरकार के कुछ अधिकारियों पर एक-दूसरे के साथ मिलकर कामगारों के हितों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया गया। पदाधिकारियों ने चेताया कि निजीकरण और दमनकारी नीतियों का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। साथ ही यह आशंका भी जताई कि आंदोलन से जुड़े अन्य नेताओं पर भी मुकदमे दर्ज किए जा सकते हैं।
दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं में असंतोष
शनिवार को पॉवर ऑफिसर्स एसोसिएशन की फील्ड हॉस्टल में हुई बैठक में आरोप लगाया गया कि प्रबंधन जानबूझकर दलित और पिछड़े वर्ग के अभियंताओं को निशाना बना रहा है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि संगठन से जुड़े कर्मचारियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण और प्रतिशोधात्मक कार्रवाई हो रही है। स्थानांतरण नीति का उल्लंघन कर उन्हें परेशान किया जा रहा है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रबंधन ने अपनी नीति में बदलाव नहीं किया और उत्पीड़न की कार्रवाइयां नहीं रोकीं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।