बरेली: वैज्ञानिक से 1.10 करोड़ की साइबर ठगी, चार आरोपी लखनऊ से गिरफ्तार

बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक से 1.10 करोड़ रुपये की साइबर ठगी करने वाले गिरोह के चार सदस्यों को पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार किया है। साइबर थाना पुलिस को इस कार्रवाई में एसटीएफ लखनऊ की सहायता मिली। आरोपियों को बरेली लाकर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

गिरफ्तार आरोपी और बरामद सामग्री

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सुधीर कुमार चौरसिया, श्याम कुमार वर्मा, महेंद्र प्रताप सिंह (तीनों निवासी लखनऊ) और रजनीश द्विवेदी (निवासी गोंडा) शामिल हैं। इनके पास से पुलिस ने चार चेकबुक, छह डेबिट कार्ड और छह मोबाइल फोन बरामद किए हैं। एसपी क्राइम मनीष कुमार सोनकर ने शनिवार को मामले का खुलासा करते हुए बताया कि महेंद्र के खाते में आए 12 लाख रुपये आरोपियों ने निकालकर क्रिप्टोकरेंसी के जरिए विदेश भेज दिए।

‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर हुई ठगी

मूल रूप से पश्चिम बंगाल निवासी वैज्ञानिक, जो आईवीआरआई में कई वर्षों तक तैनात रहे और हाल ही में सेवानिवृत्त हुए, से 17 जून को ठगों ने खुद को बेंगलुरु पुलिस अधिकारी बताकर संपर्क किया। व्हाट्सएप कॉल पर कथित अधिकारी ने बताया कि उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी और मानव तस्करी जैसे अपराध किए गए हैं। बात को विश्वसनीय बनाने के लिए कॉलर की डिस्प्ले पिक्चर में पुलिस का लोगो लगा था।

इसके बाद उन्हें एक अन्य नंबर दिया गया, जिससे कथित रूप से खुद को सीबीआई अधिकारी दया नायक बताने वाले व्यक्ति ने संपर्क किया। उसने वैज्ञानिक को डराते हुए कहा कि उनके बैंक खातों में अवैध धन जमा है, जिसे जांच के लिए एक विशेष खाते में ट्रांसफर करना होगा।

ठगों ने लौटाई एक लाख की रकम, फिर उड़ाए करोड़ों

ठगों ने वैज्ञानिक का विश्वास जीतने के लिए उनके ग्रामीण बैंक खाते में एक लाख रुपये वापस भी जमा कराए। इसके बाद 19 जून को वैज्ञानिक के दो अलग-अलग खातों से 10 लाख और नौ लाख रुपये इंडसइंड बैंक में ट्रांसफर करा लिए गए। इसी प्रक्रिया के तहत विभिन्न खातों से कुल मिलाकर 1.10 करोड़ रुपये की रकम ठगों ने अपने कब्जे में कर ली।

बेंगलुरु पुलिस से हुई पुष्टि, तब दर्ज हुई रिपोर्ट

ठगी का शक होने पर वैज्ञानिक ने संबंधित नंबरों की इंटरनेट पर जांच की, पर कोई ठोस जानकारी न मिलने पर उन्होंने बेंगलुरु पुलिस से सीधे संपर्क किया। वहां से पुष्टि हुई कि वे साइबर ठगी का शिकार हुए हैं। इसके बाद उन्होंने बरेली साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

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